राजस्थान के दौसा से ‘डॉक्टर डेथ’ गिरफ्तार
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भारत के कुख्यात सीरियल किलर और अवैध किडनी रैकेट ऑपरेटर देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ को राजस्थान के दौसा जिले के एक आश्रम से गिरफ्तार किया है। वह पुजारी के भेष में फर्जी पहचान के साथ छिपकर रह रहा था।
100 से अधिक हत्याएं और 125 किडनी ट्रांसप्लांट
67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा पर 100 से अधिक हत्याएं, 125 से ज्यादा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट, अपहरण, डकैती, ठगी और हत्या के कम से कम 27 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस का दावा है कि शर्मा और उसके गिरोह ने वर्ष 2002 से 2004 के बीच टैक्सी और ट्रक चालकों को फर्जी यात्राओं के बहाने बुलाकर हत्या की और शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों से भरी हजारा नहर में फेंककर सबूत नष्ट किए।
पैरोल पर छूटने के बाद बार-बार फरार
शर्मा 2004 में गिरफ्तार हुआ था और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा की अदालतों ने उसे सात मामलों में आजीवन कारावास, और गुरुग्राम की अदालत ने एक मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। वह 2023 में पैरोल पर बाहर आया और फिर से फरार हो गया।
इससे पहले भी वह 2020 में पैरोल पर रिहा होने के बाद सात महीने तक लापता रहा था। इस बार वह दौसा जिले के एक आश्रम में छिपा मिला, जहां वह खुद को आध्यात्मिक गुरु बताकर रह रहा था।
ऐसे दिया वारदातों को अंजाम
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, देवेंद्र और उसके साथी ड्राइवरों को बुलाकर गला घोंटकर हत्या करते थे, फिर उनकी गाड़ियां ब्लैक मार्केट में बेच दी जाती थीं। शवों को नहर में मगरमच्छों के हवाले कर दिया जाता था जिससे कोई सबूत नहीं बचता।
किडनी रैकेट का सरगना
शर्मा 1995 से 2004 तक एक संगठित गिरोह के साथ मिलकर देशभर में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चला रहा था। उसने पुलिस के सामने 125 से ज्यादा ट्रांसप्लांट की बात कबूली। उसे एक ट्रांसप्लांट के लिए 5-7 लाख रुपये तक मिलते थे। उसके साथ डॉक्टर, दलाल और निजी अस्पतालों के कर्मचारी भी शामिल थे।
अलीगढ़ से अपराध का रास्ता चुना
देवेंद्र शर्मा अलीगढ़ के छर्रा थाना क्षेत्र के गांव पुरैनी का निवासी है। उसने 1984 में BAMS की डिग्री बिहार से प्राप्त की और राजस्थान के बांदीकुई में ‘जनता क्लिनिक’ की शुरुआत की थी। 1994 में गैस एजेंसी के नाम पर 11 लाख की ठगी से उसका अपराध की ओर झुकाव शुरू हुआ।
परिवार भी छोड़ चुका है साथ
2004 में उसकी गिरफ्तारी के बाद पत्नी और बच्चे उसे छोड़ कर चले गए। उसका एक बेटा स्विट्जरलैंड में और दूसरा केरल में नौकरी करता है। स्थानीय लोग उसके कुकर्मों से हैरान हैं और किसी को विश्वास नहीं हो रहा कि एक डॉक्टर इतनी क्रूरता कर सकता है।
गिरफ्तारी कैसे हुई?
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अलीगढ़, जयपुर, आगरा, प्रयागराज और दिल्ली में महीनों तक जांच चलाई। मोबाइल रिचार्ज के जरिए उसकी लोकेशन ट्रेस की गई। दौसा आश्रम में एक जवान इलाज के बहाने उससे मिला और पहचान की पुष्टि के बाद उसे गिरफ्तार किया गया।