Duck Farming: कृषि के अलावा, इन दिनों बिहार के किसानों के बीच पशुपालन का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. खासकर बत्तख पालन की बात करें तो ऐसा लगता है कि पश्चिम चंपारण सहित बिहार के ज्यादातर जिलों में बत्तख पालन की सुनामी आ गई है, लेकिन असल सवाल ये है कि क्या बत्तख पालन वाकई ज्यादा कमाई का जरिया है? या इसमें भी किसानों को बड़ा घाटा लग सकता है?
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पश्चिम चंपारण जिले के मधौलिया प्रखंड के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में पशुपालन विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ के तौर पर कार्यरत डॉ जग्पाल का कहना है कि अगर पशुपालन के दौरान जानवरों की अच्छी नस्लों का ध्यान नहीं रखा गया तो ये धंधा आपके लिए बर्बादी का कारण बन सकता है. बत्तख पालन में भी यही बात लागू होती है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने कुछ खास नस्लों के बारे में बताया है, जो किसानों को बेहतर आमदनी दे सकती हैं.
मुनाफे के लिए नस्ल का चुनाव चुनें (Choose Breed for Profit)
डॉ जग्पाल ने बताया कि बत्तख के अंडों और मांस की कीमत मुर्गी के अंडों और मांस से ज्यादा होती है, इसलिए किसानों को इससे अच्छी आमदनी हो जाती है. इसीलिए पालन के समय अपनी जरूरत के हिसाब से बत्तख की नस्ल का चुनाव करना चाहिए.
- मांस उत्पादन के लिए किसानों को सफेद पैकिंग, एलिसबरी, मस्कॉवी, रौन, आर्फ़िंगटन, स्वीडन, पैकिंग आदि नस्लों का पालन करना चाहिए.
- अंडा उत्पादन के लिए भारतीय रनर नस्ल का चुनाव करना चाहिए.
- अगर आप मांस और अंडे दोनों के लिए बत्तख पालना चाहते हैं, तो आपको खाकी कैंपबेल नस्ल का चुनाव करना चाहिए.
कम लागत, ज्यादा मुनाफा (Low Investment, High Profit)
विशेषज्ञों के मुताबिक, एक बत्तख साल में 300 अंडे देती है, जो कि मुर्गियों से दोगुना है. वहीं, बाजार में एक अंडे की कीमत 9 से 11 रुपये तक है. इसके मांस की डिमांड भी काफी ज्यादा है. लागत की बात करें तो बत्तख पालन के बिजनेस में बहुत कम पूंजी लगती है.
अनुमान के मुताबिक, 1000 चूजों पर साल भर में सिर्फ 1 से 1.5 लाख रुपये तक का खर्च आता है. जिससे पशुपालक सालाना 3-4 लाख रुपये तक की कमाई कर सकता है. अच्छी बात ये है कि ये पक्षी कुछ भी खा लेते हैं, बस ध्यान रखें कि खाना गीला हो. सूखा दाना इनके गले में फंस सकता है. ऐसे में आपको इनके आहार पर ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती.
बत्तख पालन एक मुनाफे वाला धंधा जरूर है, लेकिन इस काम में सफलता के लिए अच्छी नस्ल का चुनाव और उनकी देखभाल बहुत जरूरी है. अगर आप बत्तख पालन शुरू करने की सोच रहे हैं तो कृषि विज्ञान केंद्र या किसी जानकार पशुपालन विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.