गैंग हॉस्पिटल नेटवर्क से करता था सौदा तय, सीसीटीवी फुटेज के सहारे यूपी पुलिस ने इंटरस्टेट नेटवर्क का किया खुलासा
हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक तीन वर्षीय बच्चे के अपहरण की जांच करते हुए पुलिस ने ऐसा राज़ उजागर किया है जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस ने एक ऐसे इंटरस्टेट बच्चा चोरी गैंग का पर्दाफाश किया है जो ‘ऑन डिमांड’ बच्चों को अगवा कर देश के अलग-अलग राज्यों में ऊंची कीमत पर बेचता था। यह गैंग बाकायदा ग्राहक की डिमांड पर बच्चे की तलाश करता था, उसकी फोटो भेजता था और सौदा तय होने पर अपहरण की वारदात को अंजाम देता था।
गैंग का नेटवर्क कई राज्यों में फैला है और इसमें अस्पतालों के वॉर्ड बॉय, नर्स और दलाल तक शामिल हैं जो कस्टमर लाने में मदद करते थे। अब तक की पूछताछ में गैंग ने 8 बच्चों को चुराकर बेचने की बात कबूल की है। इस मामले में कुल 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें यूपी और आंध्र प्रदेश के लोग शामिल हैं।
कैसे हुआ खुलासा? हाथरस से शुरू हुई जांच, विजयवाड़ा तक पहुंची पुलिस
हाथरस नगर कोतवाली क्षेत्र की जागेश्वर कॉलोनी में रहने वाले प्रिंस गोस्वामी का साढ़े तीन साल का बेटा कविश 9 मई की शाम को घर के बाहर खेलते-खेलते लापता हो गया। परिवार ने पुलिस में अपहरण का मामला दर्ज कराया। शुरुआत में बच्चा गुमशुदा लग रहा था, लेकिन जब वो वापस नहीं लौटा तो सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू की गई। एक फुटेज में मोनू पाठक नाम का शख्स बच्चे को लेकर जाता दिखा।
जांच में पता चला कि आरोपी मोनू बस स्टैंड गया और वहां से पत्नी नेहा को लेकर आगरा गया। आगरा से दोनों रेलवे स्टेशन पहुंचे और वहां से ट्रेन पकड़कर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा पहुंच गए। पुलिस ने इनका पीछा करते हुए करीब 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले और 1760 किलोमीटर दूर विजयवाड़ा के एक होटल से दोनों को पकड़ लिया।
गिरफ्तार आरोपियों ने खोले राज़, गैंग करता था डिमांड पर सौदा
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि यह गैंग ग्राहकों की मांग पर बच्चों को टारगेट करता था। पहले ग्राहक से डिमांड ली जाती थी, फिर बच्चे की फोटो भेजी जाती थी। ग्राहक के पसंद करने पर डील फाइनल होती थी। बच्चा चुराने के बाद सौंपा जाता था। हाथरस से अगवा बच्चे कविश का सौदा 1.80 लाख रुपये में तय किया गया था।
गैंग का नेटवर्क 7 राज्यों तक फैला, अस्पतालों से भी जुड़ाव
इस इंटरस्टेट गैंग का नेटवर्क यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक तक फैला है। कई अस्पतालों में काम करने वाले लोग भी इस गैंग से जुड़े हैं जो नवजात बच्चों की जानकारी और ग्राहक की डीलिंग में मदद करते हैं। हाथरस एसपी चिंरजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि गैंग बच्चों की कीमत उनकी सुंदरता, उम्र और ग्राहक की आर्थिक स्थिति के आधार पर तय करता था। नवजात बच्चों की कीमत सबसे अधिक बताई गई है, जो 5 लाख रुपये तक हो सकती है।
अब भी कई अनसुलझे सवाल
पुलिस गैंग के पूरे काम करने के तरीके की तह तक जाने में जुटी है। पूछताछ के लिए तेलुगु ट्रांसलेटर बुलाया जा रहा है ताकि आंध्र प्रदेश के आरोपियों से जानकारी ली जा सके। गैंग के नेटवर्क, फाइनेंशियल लेनदेन और अन्य बच्चों की डिटेल्स खंगाली जा रही हैं।
गिरफ्तार आरोपी
- मोनू पाठक (हाथरस)
- नेहा शर्मा (पत्नी, हाथरस)
- मल्लिकार्जुन (विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश)
- मैद्दी पाटला (कड़प्पा, आंध्र प्रदेश)
- सुब्बालक्ष्मी (आंध्र प्रदेश)