ईरान की चेतावनी से दुनियाभर में हड़कंप: स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ बंद होने की आशंका, भारत पर क्या होगा असर?

नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए ईरान ने दुनिया के सबसे संवेदनशील समुद्री मार्गों में से एक स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ (Strait of Hormuz) को बंद करने की बात कही है। अगर ऐसा होता है तो वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है और इसका सीधा असर भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

क्या है स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ और क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ एक ऐसा समुद्री मार्ग है जिससे होकर दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का ट्रांसपोर्ट होता है। यह मार्ग पश्चिम एशिया के तेल उत्पादक देशों को शेष विश्व से जोड़ता है। अगर यह मार्ग बंद होता है तो तेल और गैस की वैश्विक आपूर्ति पर संकट गहराने की आशंका है।

भारत की क्या है तैयारी?

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ने बीते वर्षों में अपनी तेल आपूर्ति को विविध किया है और अब हमारी बड़ी मात्रा में तेल आपूर्ति स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ पर निर्भर नहीं है।

उन्होंने कहा:

“हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास कई हफ्तों की सप्लाई मौजूद है और अन्य वैकल्पिक रास्तों से तेल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। नागरिकों को ईंधन की स्थिरता में कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।”

अगर मार्ग बंद हुआ तो भारत में क्या होगा असर?

  • तेल की कीमतों में वृद्धि: यदि यह मार्ग एक सप्ताह से अधिक बंद रहा तो क्रूड ऑयल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।
  • महंगाई में उछाल: परिवहन लागत बढ़ने से देश में ईंधन, खाद्य पदार्थों और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
  • आम जनता पर बोझ: सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती जैसे कदम उठा सकती है ताकि आम नागरिकों को राहत दी जा सके।

क्या भारत रूस से खरीद रहा है सस्ता तेल?

हां, भारत ने हाल के वर्षों में रूस से डिस्काउंटेड दरों पर तेल खरीदना शुरू किया है, लेकिन यह विकल्प तब ही कारगर होता है जब वहां से मिलने वाली छूट और वैश्विक कीमतें भारत के हित में हों।

सरकार की संभावित रणनीति:

अगर वैश्विक स्थिति खराब होती है और तेल की कीमतें नियंत्रण से बाहर जाती हैं, तो भारत सरकार निम्नलिखित कदम उठा सकती है:

  • उत्पाद शुल्क की समीक्षा
  • वैकल्पिक मार्गों से सप्लाई तेज करना
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राहत देना

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