इस अनाज की खेती से मिलेंगा 75 क्विंटल तक मिलता है पशु चारा, ऐसे करे इसकी खेती

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जौ एक महत्वपूर्ण रबी फसल है जो भारत में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। यह एक बहुमुखी फसल है जिसका उपयोग अनाज, चारा और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। जौ की खेती करना अपेक्षाकृत आसान है और यह कम लागत में अच्छी पैदावार दे सकती है। आइये जानते है इसके बारे में. ..

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जौ की खेती

जौ ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। जौ विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी तरह से सूखा हुआ बलुआ मिट्टी या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। जौ की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के महीने में की जाती है। जौ के बीज को अच्छी तरह से साफ और स्वस्थ होना चाहिए।

जौ की बुवाई

जौ की बुवाई सीड ड्रिल, छिड़काव या डिबलर विधि द्वारा की जा सकती है। जौ को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर बुवाई के बाद और फूल आने के समय। जौ को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। खरपतवारों को नियमित रूप से हटाना चाहिए। जौ को कुछ रोगों और कीटों से प्रभावित हो सकता है, इसलिए इनसे बचाव के लिए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए।

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जौ की कटाई और उत्पादन

जौ की कटाई तब की जाती है जब पौधे पीले हो जाते हैं और दाने कठोर हो जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो एक हेक्टेयटर में करीब 35 से 40 क्विंटल तक दाने और 20 से 75 क्विंटल तक पशु चारे की पैदावार मिल जाती है. फसल लगभग 60 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है

Arshad Khan

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