आजकल भारत में खेती के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, अब वे पारंपरिक खेती की जगह उन्नत और अधिक उपज देने वाली फसलों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें कम लागत और कम समय में अधिक मुनाफा मिल रहा है, भारत में सबसे ज्यादा मसालो की खेती की जाती है। जिसे अंतरास्ट्रीय बाज़ारो में भी भरी डिमांड पर बेचा जाता है। जीसके कारण जीरे की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक सौदा साबित हो सकती है। तो आइए जानते हैं जीरे की खेती के बारे में पूरी जानकारी।
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जीरे की खेती के लिए उन्नत किस्मे
भारत में, यह मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान राज्यों में उगाया जाता है। यह कुल जीरे के उत्पादन का 80% है, जिसमें से 28% राजस्थान द्वारा उत्पादित किया जाता है। इसमें गुजरात की बड़ी भूमिका है। भारतीय बाजार में जीरे की कई किस्में हैं, जिनमें RZ-19, RZ-209, GC-4, RZ-223 प्रमुख हैं।
जीरे की खेती के लिए मिटटी और इसके बारे में
जीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु की बात करें तो शुष्क और मध्यम ठंडी जलवायु इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। बीजों के पकने के लिए शुष्क और ठंडा मौसम आवश्यक है। अच्छी उपज के लिए रेतीली दोमट मिट्टी का उपयोग करें और इस बात का ध्यान रखें कि भूमि में अच्छी जल निकासी हो। जीरा लगाने के बाद 3 से 4 साल के अंतराल के बाद ही इसकी पुनः खेती की जानी चाहिए। इसके लिए जीरे की उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है। नवंबर और दिसंबर इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छे महीने हैं। आपको बता दें कि जीरे की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 12 से 16 किलो बीज पर्याप्त है। जीरा एक कम पानी वाली फसल है, जिसकी खेती के लिए ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इस फसल की दूसरी सिंचाई 7 से 10 दिनों के अंतराल पर की जाती है।
जीरे की खेती से कमाई
जीरे की खेती से कमाई की बात करें तो बाजार में 200 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम के दाम पर बिकती है। एक अनुमान के अनुसार, लगभग 5 हेक्टेयर भूमि में जीरे की खेती से 4 से 5 लाख रुपये की भारी आय हो सकती है।