पत्रकार Vikas Srivastava और Abhishek Upadhyay पर FIR दर्ज, जानिए क्या हैं आरोप और क्यों मचा है बवाल

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लखनऊ, 20 सितंबर 2025 (MP Jankranti News)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दो अलग-अलग मामलों में दो पत्रकारों पर FIR दर्ज होने से हड़कंप मच गया है। इन मामलों में एक ओर दैनिक भास्कर के रिपोर्टर विकास श्रीवास्तव हैं, तो दूसरी ओर स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक उपाध्याय। दोनों ही मामलों में पत्रकारों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

दैनिक भास्कर के रिपोर्टर पर IAS अधिकारी की शिकायत

पहली FIR 8 सितंबर को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, लखनऊ में दैनिक भास्कर के रिपोर्टर विकास श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज की गई है। यह शिकायत उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बीएल मीणा (अपर मुख्य सचिव– उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण एवं रेशम विभाग) ने की है।

शिकायत में आरोप है कि विकास श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर डिजिटल पर एक रिपोर्ट प्रकाशित कर उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की। 7 सितंबर को प्रकाशित इस रिपोर्ट का शीर्षक था, “भास्कर एक्सक्लूसिव: ‘साहब हाथ पकड़ते हैं, कमरे में ले जाते हैं’: ACS के खिलाफ PMO तक शिकायतें, डायरेक्टर का CS को पत्र – यह छवि खराब करने की कोशिश”। आईएएस अधिकारी ने दावा किया है कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी भ्रामक और झूठी है, और जिस महिला कर्मचारी का हवाला दिया गया है, वह उनके विभाग में कार्यरत ही नहीं है। इस मामले में विकास श्रीवास्तव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356(3), 352(3) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर दीपक पांडेय ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और अभी विकास श्रीवास्तव का बयान दर्ज होना बाकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शुरुआती जांच में शिकायतकर्ता द्वारा किए गए कुछ दावों का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

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स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक उपाध्याय पर FIR

दूसरी FIR 16 सितंबर को हजरतगंज थाने में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ दर्ज की गई है, जो ‘टॉप सीक्रेट’ नाम का यूट्यूब चैनल चलाते हैं। शिकायतकर्ता धर्मपाल ने आरोप लगाया है कि अभिषेक उपाध्याय ने अपने ट्विटर हैंडल और वीडियो के माध्यम से झूठे और भ्रामक तथ्यों के आधार पर आम जनमानस और युवाओं को सरकार के विरुद्ध भड़काने, वर्ग विद्वेष फैलाने और दंगा कराने की साजिश रची है।

यह मामला गोरखपुर में कथित पशु तस्करों द्वारा एक 19 वर्षीय छात्र की हत्या से जुड़ा है। इस घटना के बाद इलाके में पहले से ही तनाव था। अभिषेक उपाध्याय ने इस मामले पर एक वीडियो और कुछ पोस्ट साझा किए थे, जिसमें वह मृतक के पिता का इंटरव्यू लेते दिखे थे। हजरतगंज के थाना प्रभारी विक्रम सिंह ने बताया कि यह अभिषेक के खिलाफ हजरतगंज थाने में तीसरी FIR है, जिसे वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर दर्ज किया गया है।

अभिषेक उपाध्याय ने इस एफआईआर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उन्हें चुप कराने की एक कोशिश है। उन्होंने बताया कि उनकी रिपोर्ट्स का असर होता है, जिसके कारण उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उनके मुताबिक, उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई करीबी अधिकारियों पर स्टोरी की है, जिसके बाद उन्हें पद से हटाना पड़ा था।

दोनों ही मामलों में पुलिस निष्पक्ष जांच का दावा कर रही है। हालांकि, पत्रकारों पर इस तरह की लगातार FIR दर्ज होने से प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पत्रकारों पर हो रही इस तरह की कानूनी कार्रवाई, खासकर जब वे अधिकारियों या संवेदनशील मामलों से जुड़ी खबरें प्रकाशित कर रहे हों, प्रेस की स्वतंत्रता और जवाबदेही पर कई सवाल खड़े करती है। यह देखना बाकी है कि पुलिस की जांच में क्या सच्चाई सामने आती है।

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