मंडला में डाक विभाग की लापरवाही चरम पर: आधार कार्ड कचरे में, डाक सेवाएं ठप

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मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बीजाडांडी विकासखंड में डाक विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि डाक विभाग की लापरवाही चरम पर है, जिसके चलते कई गाँवों में डाक सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। हाल ही में सामने आए तीन प्रमुख मामलों ने इस अव्यवस्था को उजागर कर दिया है। जहाँ एक तरफ डाकघर का बोर्ड जमीन पर पड़ा है, वहीं दूसरी तरफ आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज कचरे के ढेर में मिले हैं। यह लापरवाही न केवल सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है, बल्कि ग्रामीण जनता की गोपनीय जानकारी की सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।

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भारतीय डाक विभाग, देश में संचार का सबसे पुराना और सबसे व्यापक नेटवर्क है। यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जहाँ यह केवल चिट्ठियों का आदान-प्रदान नहीं करता बल्कि पेंशन, सरकारी योजनाओं और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को भी लोगों तक पहुँचाता है। हालाँकि, मंडला के बीजाडांडी विकासखंड में इसका हाल बिलकुल उलट है। यहाँ डाक विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ता दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन विभाग की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब डाक सेवाओं के ठप होने से आम जनता के रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं।

मंडला डाक विभाग की लापरवाही, आधार कार्ड कचरे में, जर्जर डाक पेटी, मानिकसरा डाकघर, बीजाडांडी।

जानकारी के मुताबिक, बीजाडांडी विकासखंड में डाक विभाग की लापरवाही के तीन अलग-अलग मामले सामने आए हैं, जो इसकी चरम अव्यवस्था को दर्शाते हैं:

1. मानिकसरा गाँव: डाकघर का बोर्ड ज़मीन पर मानिकसरा शाखा डाकघर का मामला पहले भी सुर्खियों में आया था, जब पत्रकारों ने इसकी रिपोर्टिंग तस्वीरों के साथ की थी। उस समय भी डाकघर का बोर्ड जमीन पर पड़ा था। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने उस रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया, और आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है। यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है।

2. भटाडुंगरिया गाँव: कचरे में मिले आधार कार्ड भटाडुंगरिया गाँव में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ झाड़ियों और कचरे के ढेर में ग्रामीणों के आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज बिखरे मिले। यह डाक विभाग की घोर लापरवाही है, क्योंकि आधार कार्ड एक संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज है। इस तरह से इन्हें फेंकना न केवल सरकारी सेवाओं की नाकामी है, बल्कि यह नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के साथ खिलवाड़ भी है।

3. तरवानी गाँव: जर्जर डाक पेटी तरवानी पंचायत भवन परिसर में लगी डाक पेटी की हालत भी बेहद खराब है। यह पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जिससे इसका उपयोग करना संभव नहीं है। ग्रामीणों ने इस बारे में कई बार शिकायत की है, लेकिन किसी ने भी इसकी मरम्मत की सुध नहीं ली।

मंडला डाक विभाग की लापरवाही, आधार कार्ड कचरे में, जर्जर डाक पेटी, मानिकसरा डाकघर, बीजाडांडी।

इन सभी मामलों को देखकर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि आखिर डाक विभाग की कार्यप्रणाली में इतनी बड़ी खामी क्यों है। सूत्रों का दावा है कि बीजाडांडी उप डाकघर से हर महीने एक निश्चित राशि “महीना बंदी” के रूप में ऊपर तक पहुँचाई जाती है, जिसके कारण उच्च अधिकारी निरीक्षण के नाम पर केवल औपचारिकता निभाते हैं और गांवों में जाकर जमीनी हकीकत नहीं देखते।

डाक सेवाओं के ठप होने से ग्रामीण जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ा असर उनके वित्तीय और सामाजिक जीवन पर पड़ रहा है। पेंशनभोगी बुजुर्गों और छात्रों की छात्रवृत्ति महीनों तक अटकी रहती है, क्योंकि संबंधित दस्तावेज उन तक नहीं पहुँच पाते। बैंक और सरकारी योजनाओं से जुड़े कागजात समय पर न मिलने से उनके काम रुक जाते हैं। यह स्थिति ग्रामीणों में डाक विभाग के प्रति गहरी निराशा और आक्रोश पैदा कर रही है। उनका कहना है कि डाक विभाग अब सिर्फ नाम का रह गया है।

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