मंदसौर। मल्हारगढ़ पुलिस की कार्रवाई पर इंदौर हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि “घटना में पूरा थाना लिप्त दिखाई देता है।” मामला तब हाईकोर्ट पहुँचा जब 18 वर्षीय छात्र सोहन पिता बालाराम जौधपुर को 2.700 किलो अफीम तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, जबकि परिवार का दावा है कि छात्र पूरी तरह निर्दोष है और उसे फँसाया गया है।
छात्र—12वीं फर्स्ट डिवीजन, पीएससी की तैयारी
सोहन ने हाल ही में 12वीं कक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की थी और आगे पीएससी की तैयारी कर रहा था।
पुलिस ने 29 अगस्त 2025 को उसे अफीम तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया और अगले ही दिन कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।
परिवार ने अधिवक्ता हिमांशु ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि यह गिरफ्तारी पूरी तरह मनगढ़ंत है और छात्र के करियर को बर्बाद करने जैसी है।
CCTV फुटेज ने पलट दी कहानी
हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब अदालत में बस का CCTV फुटेज प्रस्तुत किया गया। ये फुटेज पूरे मामले का रुख बदलने के लिए पर्याप्त थे।
वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया—
- छात्र सोहन बस में सामान्य रूप से यात्रा कर रहा था
- किसी भी प्रकार की तस्करी या अवैध गतिविधि नहीं
- पुलिसकर्मी छात्र को जबरन बस से उतारकर ले जाते हुए दिखे
फुटेज में अफीम की बरामदगी का कोई प्रमाण नहीं मिला और न ही छात्र के पास किसी तरह का अवैध सामान दिखाई दिया।
हाईकोर्ट ने कहा—आरोप झूठे, कार्रवाई अत्यंत संदिग्ध
CCTV देखने के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की—
“पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप झूठे प्रतीत होते हैं। पूरा मामला अत्यंत संदिग्ध है और ऐसा लगता है जैसे छात्र पर जानबूझकर गंभीर केस थोपे गए हैं।”
कोर्ट ने छात्र को जमानत प्रदान की और कहा कि यह कानून का गंभीर दुरुपयोग है। अदालत ने यह भी पूछा कि आखिर पुलिस इस तरह की कार्रवाई किसके निर्देश पर कर रही थी?
CBI जांच की मांग—SP मंदसौर को तलब
छात्र के वकील ने मामले की CBI जांच की मांग करते हुए कहा कि—
“यह मामला सिर्फ एक छात्र का नहीं है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।”
हाईकोर्ट ने मंदसौर के पुलिस अधीक्षक (SP) को 9 दिसंबर को अदालत में स्वयं उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट यह जानना चाहता है कि:
- क्या गिरफ्तारी वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर हुई?
- या स्थानीय स्तर पर पुलिस ने मनमानी की?
- क्या पूरे थाना स्टाफ की भूमिका संदिग्ध है?
मामले के बाद पुलिस पर सवाल खड़े
इस प्रकरण ने पुलिस की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े किए हैं।
राज्य के कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि CCTV फुटेज में दिख रहा घटनाक्रम सत्य पाया जाता है, तो यह पुलिस विभाग में सुधार और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा मामला साबित हो सकता है।

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