Goat Breeds: उत्तराखंड के देवभूमि नैनीताल में स्थित जीबी पंत हाई एल्टीट्यूड जू में विभिन्न प्रजातियों के कई वन्यजीव रहते हैं. इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक नैनीताल आते हैं. वैसे तो नैनीताल में घूमने के लिए कई खूबसूरत जगह हैं, लेकिन यहां मौजूद वन्यजीवों की विविधता के कारण हाई एल्टीट्यूड जू बहुत खास है. यहां ऐसे कई जानवर भी रखे गए हैं जो सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि हमारे पड़ोसी देशों में भी प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको नैनीताल जू में मौजूद पड़ोसी देश पाकिस्तान के राष्ट्रीय पशु मार्खोर के बारे में बताने जा रहे हैं.
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जू में आकर्षण का केंद्र है मार्खोर
नैनीताल जू में मार्खोर की एक जोड़ी रखी गई है, जो पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है. गौर करने वाली बात ये है कि “मार्खोर” फारसी भाषा का शब्द है जिसका मतलब “सांप खाने वाला” होता है. लोककथाओं में बताया जाता है कि यह जानवर अपने सर्पिलनुमा सींगों से सांपों को मारकर खा जाता है. कहा जाता है कि यह सांप के काटने से होने वाले जहर को भी दूर करने में मदद करता है. हालांकि, मार्खोर के सांप खाने या उन्हें सींगों से मारने का कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है. लेकिन एक सच ये जरूर है…
पहाड़ों का रहने वाला मार्खोर
नैनीताल जू के जीवविज्ञानी बताया कि मार्खोर पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु होने के साथ-साथ ऊंचे पहाड़ों पर रहने वाला जंगली बकरी की तरह है. ये ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर जू दार्जलिंग जू से जानवरों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम चलाता रहता है. वर्ष 2014 में दार्जलिंग से यहां मार्खोर की एक जोड़ी लाई गई थी. लेकिन बाद में मादा मार्खोर की मृत्यु हो गई. इसके बाद कुछ ही दिनों पहले दार्जलिंग जू से आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत एक मादा मार्खोर को नैनीताल लाया गया है.
घास ही है पसंदीदा भोजन
अनुज ने बताया कि मार्खोर बकरे की ही एक प्रजाति है. ये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत के ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों के जंगलों में पाया जाता है. जहां कहीं भी मार्खोर को सांप दिखाई देता है, वो उसे अपने मजबूत खुरों से मार डालता है. कभी-कभी अपने घुमावदार मजबूत सींगों का इस्तेमाल भी सांप को मारने के लिए करता है. ऐसा माना जाता है कि जहां मार्खोर रहते हैं, वहां सांप नहीं देखने को मिलते हैं. मार्खोर का पसंदीदा भोजन भी घास ही होता है. ये घने चीड़ के जंगलों में ज्यादा दिखाई देते हैं.