देश में कई तरह के फसलों की खेती होती है और मौसम्बी (Sweet Lime) एक लोकप्रिय फल है जिसे भारत में व्यापक रूप से उगाया जाता है। इसकी खेती न केवल लाभदायक है बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर फल भी प्रदान करती है। आइए जानते हैं मौसम्बी की खेती के बारे में विस्तार से
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मौसम्बी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
- जलवायु: मौसम्बी गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। यह हल्की ठंड भी सहन कर सकता है।
- मिट्टी: दोमट मिट्टी मौसम्बी की खेती के लिए आदर्श होती है। मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए।
मौसम्बी की उन्नत किस्में
- न्यू सेलर: यह एक लोकप्रिय किस्म है जो बड़े फल देती है।
- कोटल गोल्ड: इस किस्म के फल मीठे और रसीले होते हैं।
- पीसा: यह किस्म बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है।
मौसम्बी की रोपाई का समय
जुलाई-अगस्त और दिसंबर-जनवरी मौसम्बी की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करें। रोपाई से पहले खेत में गोबर की खाद और जैविक खाद मिलाएं पौधों को 5 मीटर x 5 मीटर की दूरी पर रोपें। रोपाई से पहले गड्ढों में गोबर की खाद और जैविक खाद डालें। मौसम्बी के पौधों को नियमित रूप से पानी दें। गर्मी के मौसम में सिंचाई की आवृत्ति बढ़ा दें। मौसम्बी के पौधों को समय-समय पर नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम युक्त उर्वरक दें। खेत में खरपतवारों को नियमित रूप से निकालें। मौसम्बी के पौधों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशक और कवकनाशी का छिड़काव करें।
मौसम्बी की खेती से कमाई
मौसम्बी के फल दिसंबर से मार्च महीने के बीच पककर तैयार हो जाते हैं। पके हुए फलों को तोड़कर इकट्ठा करें। इसकी खेती से चौथे साल से ही एक पेड़ में 20 से 50 किलो तक फल होने लगता है. ऐसे में अगर आपके खेत में 100 पेड़ भी लगे हुए हैं तो एक बार में 50 क्विंटल फल होंगे. मौसंबी के फल स्थानीय मंडी में 25 से 40 रुपये प्रति किलो थोक भाव में बिकता है ऐसे में लाखो रु की कमाई की जा सकती है.