मिर्च की खेती भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। लेकिन कई बार कीड़े या अन्य कारणों से मिर्च के फूल नष्ट हो जाते हैं, जिससे उत्पादन कम हो जाता है। देश में बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती की जाती है उसका एक कारण इसकी मांग भी, आपको बता दे की देश में बड़े पैमाने पर मिर्च की मांग रहती है. तो जब इसके फूल ही नस्ट हो जायेंगे तो इसका सीधा असर इसके उत्पादन पर पड़ेंगा। इस लिए आपको ऐसी दवा की जानकारी से रहे है जो मिर्च के फूलो को नस्ट होने से बचाएगा। आइये जानते है.
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फूलो की संख्या बढ़ाएंगी यह दवा
आपको बता दे की प्लैनोफिक्स 10 पीपीएम यह एक पौध वृद्धि नियंत्रक है जो फूलों और फलों के विकास को बढ़ावा देता है। इसका फूल आने के समय और फिर तीन हफ्ते बाद छिड़काव करें। और इससे फूलों की संख्या बढ़ती है, शाखाएं बढ़ती हैं और फल भी अधिक लगते हैं। रोपाई के 18 दिन बाद और फिर 43 दिन बाद ट्राई केटेनॉल 1 पी पी एम की ड्रेन्चिंग करने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है. इसके साथ ही अधिक फल लेने के लिए जिब्रेलिक एसिड 10 से 100 पीपीएम कंसनट्रेट को घोल के फल लगने के बाद छिड़क सकते है.
मध्यप्रदेश में यहाँ होती है मिर्च की खेती
आपको बता दे की देश में कई राज्यों ,में इसकी खेती होती है और यहाँ साल 2012-2013 के आंकड़ों के अनुसार, यहां हरी मिर्च का उत्पादन 77,6200 टन और लाल मिर्च का उत्पादन 40,362 टन था। बता दे की बड़वानी जिला मिर्च के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां हरी और लाल दोनों तरह की मिर्च का उत्पादन होता है।
मिर्च की खेती के लिए तापमान और जलवायु
आपको बता दे की मिर्च का पौधा 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में सबसे अच्छा बढ़ता है। बहुत अधिक ठंड या गर्मी पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है। मिर्च की खेती के लिए 750-1250 मिमी वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है। हालांकि, सिंचाई की सुविधा होने पर कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी मिर्च की खेती की जा सकती है। अधिक आर्द्रता फफूंदी रोगों को बढ़ावा दे सकती है, इसलिए हल्की आर्द्रता वाली जलवायु मिर्च की खेती के लिए बेहतर होती है।