मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर “पार्टी/नेतृत्व-विरोधी” पोस्ट को लेकर एक सख्त चेतावनी जारी की है, जिसके तहत कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को 24 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री हटाने का निर्देश दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर यह कदम संगठनात्मक अनुशासन को मजबूत करने और नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से पहले संभावित आंतरिक असंतोष को रोकने के लिए उठाया गया है। यह चेतावनी एमपी कांग्रेस की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का हिस्सा है, जो 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही पार्टी के डिजिटल आचरण पर कड़ा रुख अपना रही है। यह निर्णय आगामी राजनीतिक चुनौतियों और पार्टी की एकजुटता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भोपाल, मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) ने अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है। उन्हें सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर पार्टी या नेतृत्व के ख़िलाफ़ डाली गई सभी पोस्ट्स को अगले 24 घंटों के भीतर हटाने का निर्देश दिया गया है। ऐसा न करने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यह निर्देश प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर संगठन महामंत्री डॉ. संजय कामले द्वारा जारी किया गया है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि वरिष्ठ नेतृत्व के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पोस्ट को “अनुशासनहीनता” माना जाएगा। पार्टी ने जिला और प्रदेश स्तर पर अनुशासन समितियों को भी सक्रिय कर दिया है।

क्यों हुआ विवाद?
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस मध्य प्रदेश में नए जिला/शहर अध्यक्षों जरी हुई है। नए जिला/शहर अध्यक्षों की सूचि जरी होते से सोशल मीडिया पर आंतरिक असंतोष और गुटबाज़ी सामने आने लगी है। पार्टी को लगता है कि कुछ नेता सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं, जिससे संगठन की छवि को नुकसान पहुँच रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस कदम से संगठनात्मक सूची जारी होने से पहले ही संभावित “डिजिटल बगावत” को रोका जा सकेगा। यह ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का संकेत है, जिसमें पहले परामर्श दिया गया है और अब कार्रवाई की तैयारी है। पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद भी ऐसी गतिविधियों के ख़िलाफ़ नोटिस जारी किए थे, और कुछ नेताओं पर कार्रवाई भी हुई थी।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक विश्लेषक अशोक पांडे ने बताया, “यह कदम दिखाता है कि कांग्रेस संगठन को मज़बूत बनाने के लिए गंभीर है। नए अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद इस तरह की चेतावनी देकर पार्टी एक स्पष्ट संदेश दे रही है कि आंतरिक मतभेद सोशल मीडिया पर सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए। इससे पार्टी की संगठनात्मक एकता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।”
संगठन की गरिमा से समझोता नहीं
अगर कोई कार्यकर्ता या पदाधिकारी तय समय सीमा के भीतर पोस्ट नहीं हटाता है, तो उसके ख़िलाफ़ कारण बताओ नोटिस, निलंबन या निष्कासन जैसी कार्रवाई हो सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, एमपी कांग्रेस आने वाले समय में डिजिटल अनुशासन के लिए और भी सख्त गाइडलाइंस लागू कर सकती है।
इस चेतावनी का उद्देश्य न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं को अनुशासित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि संगठन की आंतरिक प्रक्रियाएँ बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप या सार्वजनिक विवाद के पूरी हों। यह कदम आगामी निकाय चुनावों और भविष्य की राजनीतिक रणनीतियों पर भी असर डाल सकता है।

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