मध्य प्रदेश में बिजली विभाग का यह ‘तुगलकी फरमान’ आजकल सुर्खियों में है। सरप्लस बिजली के दावों के बीच किसानों को 10 घंटे से ज्यादा बिजली देने पर कर्मचारियों का वेतन काटने का आदेश जारी हो गया है।
भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली कंपनी के एक अजीबोगरीब आदेश ने किसानों और कर्मचारियों, दोनों की चिंता बढ़ा दी है। मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (MPMKVVCL) और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने एक आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार अगर कृषि फीडरों पर किसानों को निर्धारित 10 घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति की गई, तो इसके लिए जिम्मेदार ऑपरेटर से लेकर महाप्रबंधक (GM) स्तर तक के अधिकारियों का वेतन काटा जाएगा।
क्या है यह ‘तुगलकी’ फरमान?
बिजली कंपनियों द्वारा जारी इस आदेश में जवाबदेही की एक पूरी श्रृंखला तय की गई है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को किसी भी हाल में 10 घंटे से ज्यादा बिजली न मिले:
- ऑपरेटर पर कार्रवाई: यदि किसी एक दिन 10 घंटे से अधिक बिजली दी गई, तो संबंधित ऑपरेटर का एक दिन का वेतन काटा जाएगा।
- जूनियर इंजीनियर (JE) पर गाज: यदि लगातार दो दिन ऐसा हुआ, तो संबंधित जूनियर इंजीनियर का एक दिन का वेतन कटेगा।
- वरिष्ठ अधिकारियों पर भी असर: इसी तरह, नियमों का उल्लंघन लगातार 5 दिन होने पर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर और 7 दिन होने पर उप महाप्रबंधक (DGM) या महाप्रबंधक (GM) तक का वेतन काटने का प्रावधान किया गया है।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि खराब मौसम, मिट्टी में नमी या किसी भी तकनीकी कारण से लोड बढ़ने की स्थिति में भी 10 घंटे की समय-सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
आदेश की सच्चाई: क्या है फरमान?
- कौन जारी किया? मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MPMKVVCL) ने 3-4 नवंबर 2025 को मुख्य महाप्रबंधक एके जैन के हस्ताक्षर से आदेश जारी किया। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने भी संशोधित आदेश जारी कर इसे लागू किया।
- मुख्य प्रावधान: कृषि फीडरों (किसानों के लिए) पर सिर्फ 10 घंटे बिजली – इससे ज्यादा नहीं। उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई:
| उल्लंघन की अवधि | जिम्मेदार अधिकारी | कार्रवाई |
|---|---|---|
| 1 दिन | ऑपरेटर | 1 दिन का वेतन कटौती |
| 2 दिन लगातार | जूनियर इंजीनियर (JE) | 1 दिन का वेतन कटौती |
| 5 दिन लगातार | एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE) | 1 दिन का वेतन कटौती |
| 7 दिन लगातार | डिप्टी GM (DGM) या GM | 1 दिन का वेतन कटौती |
- कोई छूट नहीं: खराब मौसम, मिट्टी की नमी या तकनीकी खराबी के बावजूद 10 घंटे की सीमा सख्त। निगरानी बढ़ा दी गई है, और रिपोर्ट हेडक्वार्टर भेजनी होगी।
यह आदेश किसान-विरोधी लगता है, क्योंकि CM मोहन यादव ने खुद रैलियों में “कम से कम 10 घंटे सिंचाई बिजली” का वादा किया था।
सरकार के दावों और आदेश में विरोधाभास
यह आदेश इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद कई मौकों पर किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त, यानी कम से कम 10 घंटे बिजली देने का आश्वासन दे चुके हैं। ऐसे में बिजली कंपनी का यह फरमान सरकार की अपनी ही घोषणाओं के विपरीत जाता दिख रहा है।
किसानों और कर्मचारियों पर असर
अन्य राज्य तुलना: राजस्थान-यूपी में भी 8-10 घंटे शेड्यूल, लेकिन वेतन कटौती जैसा सख्ती नहीं। MP में हाल ही 5 रुपये में कनेक्शन स्कीम चली, लेकिन सप्लाई पर ब्रेक।
किसान चिंतित: रबी फसल (गेहूं, सरसों) में सिंचाई के लिए 12-14 घंटे बिजली चाहिए। बेमौसम बारिश के बाद यह फरमान और मुसीबत। इंदौर-उज्जैन बेल्ट के किसान सबसे प्रभावित।
कर्मचारी दबाव में: JE और ऑपरेटरों ने यूनियन मीटिंग बुलाई। बोले, “हम तो बस ड्यूटी करते हैं, सजा क्यों?” वेतन कटौती से मोराल डाउन।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस मुद्दे पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “किसान विरोधी” और “तुगलकी फरमान” बताते हुए सरकार को घेरा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाया है कि क्या प्रदेश में बिजली की कमी हो गई है, जो सरकार ऐसा कदम उठा रही है? विपक्ष का आरोप है कि एक तरफ सरकार सरप्लस बिजली होने का दावा करती है, वहीं दूसरी तरफ किसानों को बिजली देने से बच रही है।
इस आदेश के बाद जहां किसान चिंतित हैं कि उन्हें जरूरत के समय बिजली कैसे मिलेगी, वहीं बिजली विभाग के कर्मचारी और अधिकारी दबाव में हैं।
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