उत्तर प्रदेश: महिला की हत्या के झूठे आरोप में 20 महीने जेल में रहे चार मुस्लिम युवक, महिला जिंदा मिली—पुलिस कार्रवाई पर उठे गंभीर सवाल

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झूठी हत्या, असली पीड़ा: 20 महीने की जेल और फिर जिंदा लौट आई ‘मरी हुई’ महिला

मध्य प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं, जब एक महिला को मरा मानकर हत्या का केस दर्ज कर दिया गया, चार मुस्लिम युवकों को जेल भेज दिया गया, और डेढ़ साल बाद वही महिला जिंदा लौट आई।

यह चौंकाने वाला मामला मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के थांदला क्षेत्र से जुड़ा है। यहां 2023 में एक महिला ललिता की ‘हत्या’ का केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने पांच युवकों — इमरान, शाहरुख, सोनू और एजाज — को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन मार्च 2025 में ललिता स्वयं थाने पहुंच गई और बताया कि वह मजदूरी कर रही थी और अब घर लौट आई है।

झूठे आरोप कबूल करवाने का आरोप

आरोपी युवकों ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर मारपीट की और जबरन कागजों पर दस्तखत करवाए। उनका कहना है कि पुलिस ने दबाव बनाकर उनसे झूठे आरोप कबूल करवाए, जिससे वे लंबे समय तक जेल में सड़ते रहे।

कैसे हुई थी ‘हत्या’ की पुष्टि?

सितंबर 2023 में पंचायत प्रतिनिधि प्रकाश कटारे ने एक महिला का सड़ा-गला शव पानी में देखा। शव की हालत बेहद खराब थी — चेहरा और दोनों हाथ गायब थे। पुलिस ने बिना डीएनए जांच किए, केवल परिजनों के बयान और शरीर पर टैटू व काला धागा देखकर उसे ललिता घोषित कर दिया। उसी आधार पर हत्या का केस दर्ज हुआ।

पुलिस की लापरवाही और जांच में खामियां

  • डीएनए जांच नहीं कराई गई
  • पहचान सिर्फ बाहरी चिह्नों के आधार पर
  • चार युवकों को बिना ठोस सबूतों के जेल भेजा गया

अब जब महिला खुद सामने आ गई, तो यह सवाल खड़ा हो गया है कि पुलिस ने जांच में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे बरती।

महिला ने बताई पूरी कहानी

गांधी सागर पुलिस स्टेशन की प्रभारी तरुणा भारद्वाज के अनुसार, महिला ने बताया कि वह भानपुरा, मंदसौर से शाहरुख नामक युवक के साथ गई थी। वहां से उसे कोटा ले जाया गया जहां वह डेढ़ साल तक मजदूरी करती रही। बाद में किसी तरह वह भाग निकली और अपने घर लौट आई।

महिला के दो छोटे बच्चे हैं, और उनके साथ पुनर्मिलन ने परिवार को राहत दी है।

सवाल जो उठते हैं

  • क्या पुलिस ने जानबूझकर चार मुस्लिम युवकों को फंसाया?
  • बिना डीएनए जांच के कैसे तय कर लिया गया कि शव ललिता का ही था?
  • क्या अब उन युवकों को न्याय मिलेगा?

इस घटना से पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा होता है। यह न केवल न्याय प्रणाली की विफलता है बल्कि एक समुदाय के युवाओं को झूठे केस में फंसाने की आशंका भी जताता है।

अब क्या होगा?

महिला के लौटने के बाद पुलिस ने फिर से जांच शुरू की है। वहीं जेल में बंद युवकों के परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। यह मामला देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।

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