खौफनाक सच! मध्यप्रदेश में 23,000+ महिलाएँ-बच्चियाँ लापता, कानून-व्यवस्था पर गहराया संकट

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भोपाल/उज्जैन, 2 अगस्त 2025: मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के लापता होने के मामलों में alarming वृद्धि ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं. विधानसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन के एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया है कि जनवरी 2024 से 30 जून 2025 तक, डेढ़ साल की अवधि में, राज्य से कुल 23,129 महिलाएँ और बालिकाएँ एक वर्ष से अधिक समय से लापता हैं. इन आंकड़ों में 21,175 महिलाएँ और 1,954 बालिकाएँ शामिल हैं.

जिलेवार चौंकाने वाले आंकड़े लापता मामलों का यह आंकड़ा राज्य के कई जिलों में एक गंभीर भौगोलिक समस्या का रूप ले चुका है. विशेष रूप से, सागर जिले में 1,069 महिलाएँ लापता हैं, इसके बाद जबलपुर में 946, इंदौर में 788, भोपाल (ग्रामीण) में 688, छतरपुर में 669, रीवा में 653, धार में 637 और ग्वालियर में 617 महिलाएँ लापता बताई गई हैं. राज्य के लगभग 30 जिलों में हर जिले में 500 से अधिक लापता मामले दर्ज हैं. उज्जैन जिले से 676 महिलाएँ लापता हुई हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन मामलों में एक भी FIR दर्ज नहीं की गई है.

लापता मामलों से जुड़े आरोपी अभी भी फरार सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन लापता मामलों से जुड़े बड़ी संख्या में आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं:

  • 292 आरोपी महिलाओं से बलात्कार के मामलों में और 283 बालिकाओं के साथ यौन अपराध के केस में अभी तक फरार हैं.
  • 443 आरोपी अन्य यौन अपराधों में और 167 बालिकाओं के यौन अपराधों में फरार हैं.
  • 320 आरोपी लापता महिलाओं-बच्चियों के मामलों में (76 महिलाएँ से, 254 बालिकाएँ से) पुलिस रडार से बाहर हैं. कुल मिलाकर, 1,505 आरोपित अपराधी राज्य में बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि पीड़ित परिवार न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

पुलिस की सक्रियता और ‘ऑपरेशन मुस्कान’ इस गंभीर चुनौती के बावजूद, मध्यप्रदेश पुलिस ने 2021 में ‘ऑपरेशन मुस्कान’ (Operation Muskaan) शुरू किया था, जिसके तहत अब तक पांच चरणों में 9,329 लापता मामलों को सुलझाया गया है. इस ऑपरेशन के तहत नाबालिगों की रिकवरी दर 78% तक पहुंच गई है.

ADG (Crime Against Women) रिचा श्रीवास्तव ने बताया है कि कई बार परिवारों ने ही लौट आई बेटियों की FIR वापस ले ली, लेकिन पुलिस उन्हें ‘लाइव केस’ में दर्ज करती रही. इन मामलों का आंकड़ा भी मासिक समीक्षा समिति के समक्ष रखा जाएगा.

गृह विभाग की समीक्षा और भविष्य की रणनीति सेंटर फॉर एनालिसिस ऑफ डाटा एंड पॉलिसी (CADP) के विशेषज्ञों का कहना है कि लापता मामलों से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों—पुलिस, महिला कल्याण, शिक्षा और समाज कल्याण—को समन्वित कार्रवाई करनी होगी. गृह विभाग ने इन मामलों की गंभीरता को देखते हुए कई नए निर्देश जारी किए हैं:

  • महिला शाखा में अब से मासिक समीक्षा बैठकें होंगी.
  • अनुसूचित जाति/जनजाति तथा दूरदराज के क्षेत्रों में त्वरित FSL (Forensic Science Laboratory) परीक्षण के लिए मोबाइल लैब तैनात की जाएंगी.

इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है. कांग्रेस ने सरकार पर आंकड़ों को छिपाने और FIR दर्ज न करके अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. वहीं, BJP ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि सरकार ने लापता मामलों के प्रति गंभीरता दिखाई है और इन पर नए निर्देश जारी किए गए हैं, जो “सच मेरा समर्थन करेगा” की नीति पर आधारित हैं.

मध्यप्रदेश में 23,000 से अधिक महिलाओं और बच्चियों का लापता होना अब केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था और सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी परीक्षा बन चुका है. यदि जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल और गहराएगा.

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