नेपाल में लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता और सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने मंगलवार, 9 सितंबर को एक नया मोड़ ले लिया। देश में बढ़ते जन आक्रोश के बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यह इस्तीफ़ा उन्होंने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को सौंपा। प्रधानमंत्री सचिवालय द्वारा जारी किए गए त्यागपत्र में ओली ने खुद इस बात की घोषणा की। इस इस्तीफ़े के पीछे मुख्य वजहें सोशल मीडिया पर बैन और भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिनके चलते प्रदर्शनकारी पिछले कई दिनों से सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे थे। इस घटना के बाद से नेपाल में एक बड़े राजनीतिक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

नेपाल में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद हुई। सरकार ने उन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था जिन्होंने दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ पंजीकरण नहीं कराया था। इस फैसले ने नागरिकों, खासकर ‘जेन ज़ी’ के बीच भारी असंतोष पैदा कर दिया। यह विरोध केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह व्यापक भ्रष्टाचार और राजनीतिक विफलता के आरोपों को लेकर सरकार के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन बन गया। राजधानी काठमांडू में हुए प्रदर्शनों में कई लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद प्रधानमंत्री ओली पर इस्तीफ़े का दबाव बढ़ गया था।

जानकारी के मुताबिक, विरोध प्रदर्शनों ने सोमवार, 8 सितंबर को हिंसक रूप ले लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए देश के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के घरों और कार्यालयों में आग लगा दी। इनमें भक्तपुर के बालकोट में स्थित प्रधानमंत्री ओली का निजी आवास भी शामिल था। इसके अलावा, राष्ट्रपति पौडेल, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के नेता पुष्प कमल दहल के घरों में भी आग लगाई गई।

एपी की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाली विदेश मंत्री आरज़ू देउबा राणा के एक स्कूल को भी आग के हवाले कर दिया गया। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, नेपाली सेना ने हेलीकॉप्टरों की मदद से मंत्रियों को उनके घरों से निकालना शुरू कर दिया था। पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत और 400 से ज़्यादा लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है। इन घटनाओं के बाद नेपाल में स्थिति और बिगड़ गई।

सूत्रों के अनुसार, ओली ने अपने इस्तीफ़े में कहा है कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 77 (1) (ए) के अनुसार प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है ताकि राजनीतिक समाधान ढूंढा जा सके और देश में उत्पन्न हुई असामान्य स्थिति को संभाला जा सके। यह प्रधानमंत्री के रूप में उनका चौथा कार्यकाल था और प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक उनका इस्तीफ़ा भी था।
इस बीच, सोमवार को प्रदर्शन शुरू होने के बाद से तीन मंत्रियों ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है, जिनमें गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव शामिल हैं।

प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े से नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव आने की संभावना है। इस्तीफ़े के बाद देश में एक नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे राजनीतिक स्थिरता वापस लाने की कोशिश की जा सकती है। हालांकि, यह भी संभव है कि नए नेतृत्व के सामने भी मौजूदा चुनौतियों का सामना करना पड़े।
नागरिकों और प्रदर्शनकारियों के लिए यह इस्तीफ़ा एक बड़ी जीत मानी जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जनता की आवाज़ में कितनी ताकत है। हालांकि, हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण लोगों में भय का माहौल भी है। आम जनता के लिए इस इस्तीफ़े का क्या मतलब होगा, यह आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। यह देखना होगा कि नई सरकार जनता की मांगों को कैसे पूरा करती है और देश में शांति और व्यवस्था कैसे बहाल करती है।

यह समाचार नेपाल की राजधानी काठमांडू, और आसपास के जिलों जैसे ललितपुर और भक्तपुर से संबंधित है। हिंसा की घटनाएं इन क्षेत्रों में केंद्रित थीं। नेपाल (Nepal), नई दिल्ली (New Delhi) और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्थानों का उल्लेख इस खबर की वैश्विक प्रासंगिकता को दर्शाता है। यह घटना भारत के पड़ोस में हो रही है, जिसका प्रभाव दक्षिण एशिया की राजनीति पर भी पड़ सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस्तीफा क्यों दिया? नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बढ़ते सरकार विरोधी प्रदर्शनों और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के बाद बढ़ते दबाव के कारण इस्तीफा दिया। यह उनके इस्तीफ़े का मुख्य कारण था।
- विरोध प्रदर्शनों में क्या हुआ? विरोध प्रदर्शनों के दौरान 19 लोगों की मौत हुई, 400 से अधिक घायल हुए और प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं के घरों में आग लगा दी।
- क्या इस्तीफ़े के बाद नेपाल में स्थिति शांत हो गई है? प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े के बाद भी स्थिति पूरी तरह से शांत नहीं हुई है। सरकार ने कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है, लेकिन कुछ जगहों पर प्रदर्शन जारी हैं।
- Nepal latest political news क्या है? Nepal latest political news के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया है और अब नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी।
- Where can I get details about this government order? The details of this government order are available in the public statement issued by the Prime Minister’s Secretariat.
- Will there be any job vacancy in Nepal government now? It is not yet confirmed if there will be any immediate job vacancy or apply online process, but a change in government may lead to new opportunities in the future.
- Is this a breaking news? Yes, this is a major breaking news and a significant political development in Nepal.

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफ़ा नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता का एक और उदाहरण है। यह इस्तीफ़ा देश में चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों और जनता की बढ़ती नाराजगी का सीधा परिणाम है। अब, नेपाल को एक नए राजनीतिक समाधान की तलाश है, जो देश को स्थिरता और शांति की ओर ले जा सके। आगे की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि नई सरकार को जनता की मांगों को पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यह देखना बाकी है कि नेपाल का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में जाएगा।

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