निवाली (मध्य प्रदेश)। निवाली नगर आज ‘मरहबा’ और ‘या मुस्तफा’ के नारों से गूंज उठा। यहां ईद-ए-मिलादुन्नबी के पवित्र अवसर पर मुस्लिम समाज द्वारा एक भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खास बात यह रही कि सुबह से हो रही बारिश भी इस जुलूस के उत्साह में कोई कमी नहीं ला सकी। जुलूस का मकसद पैगंबर मोहम्मद साहब के संदेशों of peace and unity को फैलाना और देश में शांति और भाईचारे की दुआ करना था।
यह जुलूस नगर की हाजी कॉलोनी से शुरू हुआ और शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ सेंधवा रोड स्थित काले खां पीर बाबा की दरगाह पर पहुंचा, जहां फ़ातिहा पढ़कर दुआ मांगी गई। इसके बाद जुलूस वापस बस स्टेशन होते हुए हाजी कॉलोनी पहुंचा। रास्ते में लोगों ने जगह-जगह जुलूस का स्वागत किया और तबर्रुक (प्रसाद) बांटा।

बारिश में भी उमड़ा जनसैलाब
सुबह से ही हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन इसने आशिक़े रसूलों (पैगंबर के प्रेमियों) के जोश में कोई कमी नहीं आने दी। छोटे-छोटे बच्चों ने भी जुलूस के साथ कदम से कदम मिलाया और बारिश का खूब आनंद लिया। उनके चेहरे पर उत्साह और भक्ति की भावना साफ देखी जा सकती थी। यह नज़ारा समुदाय की अटूट आस्था और जुनून को दिखा रहा था।
देश की शांति के लिए दुआ
जुलूस के अंत में हाजी कॉलोनी में दरुद-ओ-सलाम और फतेहखानी का आयोजन किया गया। यहां सभी ने देश में अमन और शांति की कामना की। साथ ही, देश के विभिन्न इलाकों में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के सुखी और सुरक्षित जीवन के लिए दुआएं मांगी गईं। इसके बाद तबर्रुक बांटकर जुलूस का समापन किया गया।
इस शांतिपूर्ण और खुशनुमा कार्यक्रम में स्थानीय प्रशासन का पूरा सहयोग रहा। मुस्लिम समाज ने तहसीलदार मौर्य, नगर परिषद के सीएमओ सोलंकी, थाना प्रभारी लोवंशी और उनकी पूरी टीम को विशेष सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। प्रशासन की मौजूदगी ने कार्यक्रम की सुरक्षा और व्यवस्था को सुचारू बनाया।

People Also Ask (PAA – Google के सवाल):
Q: ईद-ए-मिलादुन्नबी क्यों मनाया जाता है?
A: ईद-ए-मिलादुन्नबी इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन उनके शिक्षाओं और संदेशों of peace and love को याद करने का दिन है।
Q: निवाली में जुलूस कहां-कहां से होकर गया?
A: जुलूस हाजी कॉलोनी से शुरू हुआ और नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ सेंधवा रोड स्थित काले खां पीर बाबा की दरगाह पहुंचा। फिर वापस बस स्टेशन होते हुए हाजी कॉलोनी पहुंचा।
Q: बारिश के बावजूद जुलूस कैसे सफल रहा?
A: बारिश के बावजूद समुदाय के लोगों, खासकर बच्चों का उत्साह कम नहीं हुआ। सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जुलूस को सफल बनाया।
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एकता और शांति का संदेश:
निवाली का यह जुलूस सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि सामाजिक एकता और देशभक्ति का एक जीवंत उदाहरण था। इसने यह संदेश दिया कि भारत की सांस्कृतिक विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। जब देश के किसी हिस्से में लोग प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे हैं, तब इस जुलूस में उनके लिए दुआएं मांगना मानवता की सच्ची भावना को दर्शाता है। निवाली के लोगों ने आज जिस उत्साह और भाईचारे का परिचय दिया, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है।

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