न कीड़ो की टेंशन और न रोग की झंझट धान की फसल में करे इस दवाई का उपयोग, पैदावार इतनी की हर साल यही दवाई मांगोगे

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न कीड़ो की टेंशन और न रोग की झंझट धान की फसल में करे इस दवाई का उपयोग, पैदावार इतनी की हर साल यही दवाई मांगोगे

भारत के कई राज्यों में गर्मी के मौसम में धान की खेती की जाती है। पारंपरिक धान की खेती में अधिक पानी की खपत होती है। धान की रोपाई के 24 घंटे के भीतर माचेते दवा का छिड़काव करने से खरपतवार से छुटकारा मिल जाएगा।

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दिनेश गुप्ता ने बताई कीड़े नहीं लगने की दवाई

मीडिया से बात करते हुए विशेषज्ञ दिनेश गुप्ता ने बताया कि धान के खेत में रोपाई के 15 दिन बाद खेत में पानी भरकर ब्लैक गोल्ड ह्यूमिक और मैग्नीशियम दवा डालें। इससे उपज में बढ़ोतरी होगी।

भारत के अधिकांश किसान खरीफ सीजन में अपने खेतों में धान की फसल लगाते हैं। धान का अच्छा उत्पादन लेने के लिए शुरुआत से अंत तक हर काम सावधानीपूर्वक किया जाता है, लेकिन इतनी मेहनत के बावजूद धान के पौधे निकलने पर कई समस्याएं आती हैं।

फसल का ऐसे करे देखभाल

यह धान की फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, इसलिए जरूरी है कि उर्वरक, खाद और सिंचाई के साथ-साथ अन्य प्रबंधन कार्य को सही तरीके से करके धान का बेहतर उत्पादन लिया जा सके। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोपाई के बाद फसल को अधिक देखभाल की जरूरत होती है।

इस दौरान कीट और रोगों को नियंत्रित करना होता है और उपज बढ़ाने के लिए खेत में पानी भरकर ब्लैक गोल्ड ह्यूमिक और मैग्नीशियम दवा डालनी चाहिए। इससे उपज बढ़ेगी, किसानों को भी अच्छा मुनाफा होगा।

फसल में पानी अधिक हो तो उसे निकालकर खेत से अतिरिक्त पानी हटा दें। बाद में हल्की-हल्की सिंचाई करते रहें, जिससे मिट्टी फटने की समस्या न हो। यह काम इसलिए जरूरी है ताकि सूर्य की रोशनी फसल की जड़ों तक पहुंच सके और फसल को ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहे। यह काम रोपाई के केवल 25 दिन बाद ही करना चाहिए ताकि समय पर पोषण प्रबंधन किया जा सके।

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