लेह, लद्दाख की पहचान बन चुके इंजीनियर और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) यानी रासुका के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई तब हुई जब केंद्र सरकार ने उन्हें लेह हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया और उनके NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया। सबसे सनसनीखेज बात यह है कि वांगचुक कभी प्रधानमंत्री मोदी के मुखर समर्थक थे, लेकिन अब उन्हीं पर देश की सुरक्षा को ख़तरा पहुँचाने का इल्ज़ाम लगा है। यह घटना राजनीतिक मोहभंग की एक जटिल कहानी बयाँ करती है।
Highlights
- सोनम वांगचुक को शुक्रवार को लेह में हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) यानी रासुका के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया।
- वह कभी पीएम मोदी के घोर प्रशंसक थे और 2024 तक उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते थे।
- सितंबर 2025 के बाद बीजेपी के वही नेता अब उन्हें गद्दार और विदेशी एजेंट कह रहे हैं।
- NSA लगाए जाने से एक दिन पहले उनके NGO का FCRA लाइसेंस रद्द किया गया था।
- वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग को लेकर आंदोलन कर रहे थे।
लद्दाख, भारत: लेह में हिंसा के बाद सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और उन पर रासुका (NSA) लगाए जाने की कार्रवाई ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला सिर्फ कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक रिश्तों में आए भारी बदलाव को भी दर्शाता है।

तारीफ़ से इल्ज़ाम तक का सफ़र
क्लाइमेट एक्टिविस्ट और इंजीनियर सोनम वांगचुक का 2019 से लेकर 2024 तक का सफ़र पीएम मोदी के सबसे बड़े प्रशंसकों में से एक के तौर पर रहा।
- 2019: लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले पर उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया, इसे “लंबे समय का सपना पूरा होना” बताया।
- 2023: उन्होंने पर्यावरण के लिए मिशन लाइफ पहल की प्रशंसा की और पीएम मोदी को शी जिनफिंग और डोनाल्ड ट्रम्प जैसे वैश्विक नेताओं से बेहतर बताया।
- अगस्त 2024: उन्होंने लद्दाख में पाँच नए जिलों के गठन के लिए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया अदा किया, हालाँकि छठी अनुसूची की माँग जारी रखी।
- फरवरी 2025: उन्होंने एक खुले पत्र में पीएम मोदी को ग्लेशियर संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व करने का आग्रह किया और मिशन लाइफ को “भारत का विश्व को उपहार” बताया।

क्यों टूटे वांगचुक के राजनीतिक रिश्ते?
वांगचुक का मोहभंग तब शुरू हुआ, जब केंद्र सरकार ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया।
- सितंबर 2024: उन्होंने लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च आयोजित किया, जिसका मकसद माँगों को मंज़ूर कराना था।
- मार्च 2025 के बाद से उन्होंने लेह में स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे आंदोलन छेड़े। इन आंदोलनों में स्थानीय लोग, लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) भारी तादाद में उनके साथ जुड़ते गए।
- 1 सितंबर 2025: उन्होंने अनशन शुरू किया। इस शांतिपूर्ण आंदोलन को जब विपक्ष का समर्थन मिला, तो यह केंद्र सरकार की आँखों में खटकने लगा।
- बीजेपी आईटी सेल ने उन्हें गद्दार, कांग्रेसी और विदेशी एजेंट बताना शुरू कर दिया।

तेज़ी से बदले इस सियासी घटनाक्रम की तफ़सील इस प्रकार है:
- 24 सितंबर: लेह में भारी हिंसा भड़की, जिसमें पुलिस फायरिंग में चार लोग मारे गए।
- केंद्र सरकार ने बयान जारी कर सोनम वांगचुक को उकसाने वाले भाषण देने के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया।
- 25 सितंबर: गृह मंत्रालय ने वित्तीय अनियमितताओं का इल्ज़ाम लगाते हुए उनके NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया।
- 26 सितंबर: कानून व्यवस्था को ख़तरा बताते हुए पुलिस ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) यानी रासुका के तहत गिरफ़्तार कर लिया।
सोनम वांगचुक को अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा पहले से ही था। 25 सितंबर को उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सरकार को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि लद्दाख के लोग बीजेपी के वादाखिलाफी को समझ चुके हैं।

सोशल मीडिया पर लोग इस बात पर हैरानी जता रहे हैं कि गांधीवादी सिद्धांतों पर शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने वाले, और कभी देशभक्त वैज्ञानिक कहे जाने वाले व्यक्ति पर NSA क्यों लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान बीजेपी दफ्तर पर झंडा जलाया, लेकिन तिरंगे को हाथ नहीं लगाया, जो उनके इरादों की गंभीरता को दर्शाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कार्रवाई लद्दाख की मूल माँगों से ध्यान हटाने का एक इंतिज़ाम है।
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