ओंकारेश्वर में डीजल इंजन नावों पर पूर्ण प्रतिबंध, नर्मदा में अब सिर्फ इलेक्ट्रिक या चप्पू नावों को मंजूरी

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खंडवा (मध्य प्रदेश), 13 जून 2025 — ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में नर्मदा नदी में डीजल इंजन नावों के संचालन पर जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय पर्यावरण और जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री ऋषव गुप्ता द्वारा जारी किया गया है और 13 जून 2025 से प्रभावी हो गया है।

प्रदूषण और जलीय जीवन को हो रहा था नुकसान

प्रशासन का कहना है कि ओंकारेश्वर तीर्थ पर श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए डीजल इंजन नावों के उपयोग से नर्मदा नदी में गंभीर जल, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण फैल रहा था। साथ ही इससे नदी के जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो रहा था।

इस विषय पर हाल ही में हुई जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में जनप्रतिनिधियों ने भी एकमत से डीजल इंजन नावों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में सहमति दी थी।

अब केवल इन नावों को मिलेगी अनुमति

कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अब नर्मदा नदी में केवल निम्नलिखित विकल्पों का ही उपयोग किया जा सकेगा:

  • इलेक्ट्रिक इंजन वाली नावें
  • चप्पू (पैडल) से चलने वाली नावें
  • कम आवाज और कम धुएं वाले पेट्रोल इंजन वाली नावें

मंजूरशुदा पेट्रोल इंजन स्पेसिफिकेशन (उदाहरण स्वरूप):

  1. परफेक्ट जी 420 जी – लॉन्ग टेल ओबीएम 14 एचपी हाई टॉर्क बोट इंजन (साइलेंसर के साथ)
  2. सुजुकी 30 एचपी डीएफ 30 एटीएल इलेक्ट्रॉनिक फ्यूल इंजेक्शन बोट इंजन
  3. होंडा जीएक्स 390 हाई टॉर्क टी2 एलबीडी 1800 आरपीएम 15 एचपी पेट्रोल इंजन (साइलेंसर के साथ)

उक्त स्पेसिफिकेशन को न्यूनतम मानदंड माना जाएगा और इससे कम क्षमतावाले या अधिक प्रदूषण फैलाने वाले इंजन प्रतिबंधित रहेंगे।

आदेश उल्लंघन पर कानूनी कार्यवाही

यदि कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के अंतर्गत दंड का सामना करना पड़ेगा। प्रशासन ने साफ किया है कि किसी भी तरह की लापरवाही को सख्ती से निपटा जाएगा

प्रशासन की पहल को मिला जनसमर्थन

पर्यावरणविदों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह कदम नर्मदा नदी की शुद्धता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक था।

ओंकारेश्वर जैसे धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र में नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाने की दिशा में यह एक साहसिक और दूरदर्शी निर्णय है। अब देखना होगा कि यह निर्णय ज़मीनी स्तर पर कितनी प्रभावशीलता से लागू होता है।


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Arshad Khan

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