Plastic Pollution: हर 30 सेकंड में एक इंसान की मौत, प्लास्टिक बना वैश्विक आपदा का कारण
नई दिल्ली। प्लास्टिक प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय चिंता नहीं रह गया है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए सीधा खतरा बन गया है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति प्लास्टिक और उससे उत्पन्न प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवा रहा है। इस भयावह स्थिति ने वैश्विक समुदाय को चेताया है कि यदि जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह संकट और भी विकराल रूप ले सकता है।
प्लास्टिक: जीवन में सहायक लेकिन प्रकृति के लिए विनाशकारी
प्लास्टिक ने हमारे जीवन को सरल बनाया — चाहे वो पानी की बोतल हो, पैकिंग मटेरियल या फिर मेडिकल उपकरण। लेकिन सस्ता, टिकाऊ और बहुउपयोगी होने के कारण इसका अत्यधिक प्रयोग हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि हर साल करीब 35 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जो मिट्टी, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा है।
माइक्रोप्लास्टिक का अदृश्य लेकिन घातक खतरा
जब प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता है, तो वह माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है। रिसर्च के अनुसार:
- एक सामान्य व्यक्ति प्रति सप्ताह लगभग 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगल रहा है।
- माइक्रोप्लास्टिक शरीर के लिवर, हार्मोन सिस्टम, दिमाग और पाचन क्रिया पर गहरा असर डालते हैं।
- यह कैंसर, हार्मोन असंतुलन, और प्रजनन संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।
समुद्री जीवों की दुर्दशा
कई मछलियां, व्हेल, कछुए और पक्षी माइक्रोप्लास्टिक को भोजन समझ कर निगल रहे हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है और कई की मौत भी हो रही है। हर साल लाखों समुद्री जीव प्लास्टिक के कारण मारे जाते हैं।
गंभीर आँकड़े जो चिंता बढ़ाते हैं:
- 99% प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है।
- हर साल 60 लाख टन प्लास्टिक समुद्र में पहुंच रहा है।
- 2050 तक प्लास्टिक इंडस्ट्री ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन का 15% हिस्सा बन सकती है।
- एक बार उपयोग में आए प्लास्टिक को विघटित होने में 100 से 1000 साल तक लग सकते हैं।
- 1500 से अधिक जानवरों की प्रजातियां प्लास्टिक निगलने के लिए जानी जाती हैं।
क्या हो रहे हैं वैश्विक प्रयास?
2022 में संयुक्त राष्ट्र ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि बनाने की पहल शुरू की थी। लेकिन 2024 में दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित सम्मेलन में तेल उत्पादक देशों ने प्लास्टिक उत्पादन पर रोक का विरोध किया, जिससे समझौता अधर में रह गया।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
- रीसाइक्लिंग और अपसाइक्लिंग तकनीकों को बढ़ावा दिया जाए।
- प्लास्टिक की जगह बायोडिग्रेडेबल विकल्प विकसित किए जाएं।
- स्कूल स्तर पर पर्यावरण शिक्षा और जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
प्लास्टिक आज मानवता के लिए सबसे गंभीर संकटों में से एक बन चुका है। यदि समय रहते हम अपने उत्पादन और उपयोग की आदतों में बदलाव नहीं लाते, तो यह न सिर्फ पर्यावरण को बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी खतरे में डाल देगा। विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — अब समय है, बदलाव का।
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