लखनऊ/देवरिया, 10 दिसंबर 2025 (एमपी जानक्रांति न्यूज स्पेशल रिपोर्ट): उत्तर प्रदेश पुलिस ने रातोंरात पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया। मामला 1999 का पुराना ‘इंडस्ट्रियल प्लॉट फ्रॉड’ है, लेकिन गिरफ्तारी की टाइमिंग ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। ठाकुर, जो हाल ही में कोडीन कफ सिरप के माफिया रैकेट पर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे, को 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया। क्या ये ‘चुनिंदा न्याय’ का मामला है या कानून का सख्ती भरा पाठ? एमपी जानक्रांति न्यूज ने फैक्ट्स और सोशल मीडिया ट्रेंड्स के आधार पर पूरी सच्चाई खंगाली है।
ट्रेन से ‘ड्रामेटिक’ अरेस्ट: क्या हुआ था रात 2 बजे?
लखनऊ से दिल्ली जा रही लखनऊ-नई दिल्ली एसी एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12429) के कोच M3 में अमिताभ ठाकुर आराम कर रहे थे। शाहजहांपुर जंक्शन पर रात करीब 2 बजे सादे कपड़ों में UP पुलिस की टीम चढ़ी। चश्मदीदों के मुताबिक, ठाकुर ने वजह पूछी तो पुलिस ने ‘जांच में असहयोग’ का हवाला दिया। वे बोले, “अगर मारना है तो यहीं मार दो, मैं नहीं जाऊंगा।” फिर भी उन्हें घसीटकर प्लेटफॉर्म पर उतारा गया, फोन-जूते-सामान छीन लिया। सुबह देवरिया कोर्ट में पेशी के दौरान ठाकुर ने कहा, “ये योगी आदित्यनाथ सरकार की साजिश है, मेरी हत्या कराई जा सकती है।” कोर्ट ने 14 दिन की रिमांड दी।
पत्नी नूतन ठाकुर (खुद पूर्व आईपीएस) ने बताया, “तालकटोरा थाने से सूचना मिली, लेकिन डिटेल्स छिपाई गईं। उनका X अकाउंट (@AmitabhThakur) डिसेबल हो चुका है।” ये पहली बार नहीं – 2019 में अखिलेश सरकार के खिलाफ बोलने पर ठाकुर को जबरन रिटायर किया गया था।
1999 का ‘सोया हुआ’ केस: क्यों जागा 26 साल बाद?
मामला देवरिया जिले का है। तत्कालीन एसपी अमिताभ ठाकुर ने अपनी पत्नी नूतन ठाकुर के नाम पर फर्जी दस्तावेज (आवेदन, शपथ पत्र, ट्रेजरी चालान, ट्रांसफर डीड) बनवाकर औद्योगिक प्लॉट B-2 अलॉट कराया। पीड़ित संजय शर्मा (स्थानीय निवासी) ने आरोप लगाया कि नाम-पते में हेराफेरी से प्लॉट हथियाया गया, जो बाद में बेचा भी गया। शुरू में सिविल प्रकृति का केस था, लेकिन सितंबर 2025 में तालकटोरा थाने में IPC की गंभीर धाराओं (420-चीटिंग, 467-फॉर्जरी, 120B-षड्यंत्र) के तहत FIR दर्ज हुई।
टाइमलाइन: केस का सफर
| साल/तारीख | मुख्य घटना |
|---|---|
| 1999 | देवरिया SP रहते प्लॉट अलॉटमेंट में फर्जीवाड़ा। शिकायत दर्ज, लेकिन सिविल केस रहा। |
| 2019 | ठाकुर को जबरन रिटायरमेंट। पुराना केस सोया रहा। |
| जून-नवंबर 2025 | ठाकुर X पर कोडीन कफ सिरप माफिया, ₹369 करोड़ घोटाला, IPS नाम लेकर सरकार पर हमला। |
| सितंबर 2025 | अचानक FIR: फॉर्जरी धाराएं जोड़ी गईं। |
| 10 दिसंबर 2025 | ट्रेन से गिरफ्तारी, 14 दिन कस्टडी। |
सवाल उठ रहा: अगर केस इतना पुराना था, तो 26 साल इंतजार क्यों? X पर विपक्षी यूजर्स इसे “सिलेक्टिव जस्टिस” बता रहे।
कोडीन कफ सिरप कांड: ठाकुर की ‘आवाज’ दबाने की कोशिश?
ठाकुर की गिरफ्तारी से ठीक पहले (दिसंबर 2025) UP में कोडीन कफ सिरप का बड़ा रैकेट फूटा। STF ने 32 गिरफ्तारियां कीं – नेपाल-बांग्लादेश रूट से स्मगलिंग, शेल कंपनियों से मनी लॉन्ड्रिंग। लेकिन ठाकुर ने X पर सवाल उठाए: “मंत्रियों-विधायकों के लिंक क्यों छूटे? जौनपुर ‘कोडीन भैया’ फ्री, पुलिस चुप?” उन्होंने CBI-ED जांच की मांग की, STF सिपाही आलोक सिंह (2000 करोड़ संपत्ति का आरोपी) पर भी उंगली उठाई।
X पर ट्रेंड (#AmitabhThakurArrest) में 70% पोस्ट्स दमन पर: एक यूजर (@upadhyayabhii) ने लिखा, “हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े ने ठाकुर के खिलाफ तहरीर दी, FIR तुरंत। लेकिन कफ सिरप हत्या केस में 1 साल भटकना?” BJP समर्थक (@MumbaichaDon) बोले, “कानून सबके लिए बराबर, फ्रॉड का केस।” विपक्ष (SP, AAP) ने “रामराज्य में गुंडागर्दी” का नारा दिया।
MP कनेक्शन: MP-UP बॉर्डर (जैसे कानपुर-झांसी) पर भी कोडीन स्मगलिंग के केस रिपोर्ट हुए – क्या ये रैकेट मध्य प्रदेश तक फैला?

मीडिया के खिलाफ मोर्चा: फेक न्यूज पर RTI और कोर्ट केस
गिरफ्तारी से ठीक पहले, ठाकुर ने ‘गोदी मीडिया’ पर भी निशाना साधा। News18 India के एक ग्राफिक के मुताबिक, उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय को RTI भेजी: “पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर के खिलाफ मीडिया रिपोर्टिंग के स्रोत क्या हैं? क्या ये वेरिफाइड हैं?” साथ ही, सितंबर 2025 में लखनऊ कोर्ट में ANI की संपादक स्मिता प्रकाश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई – आरोप: ECI (चुनाव आयोग) के नाम पर फर्जी खबरें फैलाईं, जो आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट/सोशल मीडिया पर नहीं थीं। कोर्ट ने केस रजिस्टर करने के आदेश दिए। State Press Club के X पोस्ट में दावा: “ठाकुर ने अंजना ओम कश्यप और स्मिता प्रकाश के खिलाफ सबूत सौंपे – फेक न्यूज से राष्ट्रीय एकता को खतरा।” ये स्टैंड ठाकुर को “मीडिया क्रिटिक” के रूप में दिखाता, जो गिरफ्तारी के नैरेटिव को और गहरा बनाता।
राजनीतिक रिएक्शन: ‘दमन’ vs ‘कानून का राज’
- विपक्ष: SP नेता अखिलेश यादव ने कहा, “सवाल पूछने वाले को जेल, माफिया फ्री – ये लोकतंत्र है?” कांग्रेस ने NHRC जांच की मांग की।
- सरकार: UP पुलिस का प्रेस नोट – “जांच में असहयोग, कोई विशेषाधिकार नहीं।” BJP सर्कल साइलेंट, लेकिन IT सेल ने “ईमानदारी का चोला” वाला नैरेटिव चलाया।
- एक्सपर्ट व्यू: पूर्व जजों ने कहा, “टाइमिंग संदिग्ध, SC को देखना चाहिए।”
क्या होगा आगे?
SIT (IG लेड) जांच कर रही, लेकिन ठाकुर की ‘हत्या का डर’ स्टेटमेंट ने सवाल बढ़ा दिए। MP-UP बॉर्डर पर भी कोडीन स्मगलिंग इश्यू है – क्या ये मध्य प्रदेश तक फैलेगा? एमपी जानक्रांति न्यूज लगातार अपडेट देगा। (डिस्क्लेमर: सभी फैक्ट्स न्यूज स्रोत्स से, कोर्ट फैसला पेंडिंग।)
संपादकीय नोट: लोकतंत्र में आवाज दबाना खतरा है। क्या आप सहमत? कमेंट्स में बताएं। #AmitabhThakur #CodeineMafia #YogiSarkar #FakeNews
(सभी दावे वेरिफाइड स्रोत्स पर आधारित। संपर्क: newsmpjankranti@gmail.com)

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