रायसेन में कुत्तों का आतंक: कलेक्टर के निर्देश के बाद भी नपा और पशु चिकित्सा विभाग में तालमेल का अभाव

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रायसेन, मध्यप्रदेश: रायसेन शहर में आवारा कुत्तों का आतंक एक गंभीर समस्या बन गया है। गली-मोहल्लों और कॉलोनियों में घूमते कुत्तों के झुंड हर दिन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हर महीने जिले में करीब 900 से 1000 लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैं, फिर भी नगर पालिका और पशु चिकित्सा विभाग के बीच कोई तालमेल नहीं है। इस वजह से कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बन पा रही है। हाल ही में कलेक्टर के निर्देश के बाद नगर पालिका का अमला सक्रिय हुआ और कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू किया गया, लेकिन आगे की कार्रवाई में अभी भी कई अड़चनें हैं।

अधिकारियों के बयान और विरोधाभास:

इस मामले पर दोनों विभागों के अधिकारियों के बयान विरोधाभास को दर्शाते हैं।

  • डॉ. आर.के. शुक्ला, उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग: उन्होंने कहा कि उनका विभाग कुत्तों की नसबंदी करने के लिए पूरी तरह तैयार है, बशर्ते नगर पालिका उन्हें कुत्ते पकड़कर और नसबंदी के बाद रखने के लिए एक सुरक्षित स्थल (कैनल) उपलब्ध कराए। उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में उन्होंने नगर पालिका को पत्र भी लिखा है।
  • शशिकांत मोहोड़, स्वच्छता निरीक्षक, नगर पालिका: उन्होंने बताया कि मंगलवार को अभियान के तहत करीब डेढ़ दर्जन आवारा कुत्तों को पकड़ा गया और रैबीज के इंजेक्शन लगाकर दशहरा मैदान में छोड़ दिया गया। वहीं, नसबंदी योजना पर उन्होंने कहा कि उन्होंने संबंधित फाइल देख ली है और इसे सीएमओ सुरेखा जाटव के सामने रखा जाएगा।

योजनाएं सिर्फ कागजों पर: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते हमलों के बाद राज्यों को आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने और उनकी संख्या नियंत्रित करने के निर्देश दिए थे। रायसेन में भी यह समस्या गंभीर है, लेकिन यहां हालात इसके ठीक उलट हैं। दो साल पहले कुत्तों के लिए कैनल बनाने का बजट और टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, लेकिन आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। कलेक्टर की फटकार के बाद ही नगर पालिका परिषद नींद से जागी और पुरानी फाइलों को खंगालना शुरू किया।

नागरिकों का कहना है कि पशु चिकित्सा विभाग और नगर पालिका को मिलकर इस मुद्दे पर काम करना चाहिए और डॉग कैनल के लिए प्रस्ताव पारित कर मंजूरी के लिए सरकार के पास जल्द भेजना चाहिए।

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नागरिकों का दर्द: इस समस्या का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। जिले में हर दिन औसतन 35 से ज्यादा लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं, जिनमें बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी शामिल हैं। एक घटना में तो एक पागल कुत्ते ने रायसेन शहर में एक ही दिन में डेढ़ दर्जन लोगों को काट लिया था।

डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान, सिविल सर्जन, रायसेन जिला अस्पताल: उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में रैबीज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन हर महीने 40 से 50 मरीज डॉग बाइट के कारण इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं।

रायसेन में आवारा कुत्तों का आतंक एक गंभीर मुद्दा बन गया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। कलेक्टर के निर्देश के बाद कार्रवाई शुरू तो हुई है, लेकिन जब तक नगर पालिका और पशु चिकित्सा विभाग मिलकर एक ठोस और स्थायी कार्ययोजना नहीं बनाते, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। सिर्फ कुत्तों को पकड़कर एक जगह छोड़ देने से समाधान नहीं होगा, बल्कि नसबंदी और टीकाकरण जैसे वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना जरूरी है। अधिकारियों को जल्द ही इस संबंध में जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि आम नागरिकों को इस आतंक से राहत मिल सके।

(रिपोर्टर: नरेंद्र राय, रायसेन)

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