रिलायंस के ‘वनतारा’ पर सुप्रीम कोर्ट की SIT का शिकंजा: 200 सवालों के साथ जानवरों के अधिकारों और वन्यजीव कानूनों की जांच शुरू

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गुजरात के जामनगर में स्थित रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा चिड़ियाघर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (SIT) का शिकंजा कस गया है। यह SIT वनतारा पर लगे गंभीर आरोपों, जिनमें जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, वन्यजीव कानूनों का उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताएं शामिल हैं, की जांच कर रही है। SIT ने इस जांच के तहत वनतारा के प्रबंधन को 200 से अधिक सवालों की एक विस्तृत सूची भेजी है, जिनके जवाब मांगे गए हैं।

Reliance Vantara Zoo, Jamnagar पर Supreme Court SIT द्वारा 200 सवाल भेजे गए; animal welfare, finance और कानून उल्लंघन पर जांच जारी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के महत्वाकांक्षी ‘वनतारा’ चिड़ियाघर और पशु पुनर्वास केंद्र के प्रबंधन के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच शुरू कर दी है। Breaking News के रूप में सामने आया है कि SIT ने वनतारा के प्रबंधन को भेजे गए 200 से अधिक सवालों की एक विस्तृत सूची तैयार की है, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं, जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन और जानवरों की अंतरराष्ट्रीय खरीद-फरोख्त से जुड़े पेचीदा सवाल शामिल हैं।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर दो जनहित याचिकाओं (PIL) के बाद सामने आया है। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि वनतारा में भारत और विदेश से जानवरों की खरीद में नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसके अलावा, जानवरों के साथ कथित दुर्व्यवहार, वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप लगाए गए थे। याचिकाओं में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघर से जुड़े अन्य नियमों का उल्लंघन होने का भी आरोप लगाया गया। अगस्त 2025 की शुरुआत में, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हथिनी ‘महादेवी’ को वनतारा भेजे जाने के विरोध में एक बड़ा आंदोलन हुआ था, जिसने इस मामले को और हवा दी। लोगों ने जियो के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया था, और कई लोगों ने अपने मोबाइल नंबर पोर्ट करा लिए थे।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT ने रिलायंस के वनतारा चिड़ियाघर से 200 से अधिक सवालों के जवाब मांगे हैं, जिसमें जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप शामिल हैं।
जांच का कारण: क्या हैं आरोप?

मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर कुछ याचिकाओं के आधार पर शुरू हुआ, जिनमें रिलायंस के वनतारा प्रोजेक्ट पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों में शामिल हैं:

  • वन्यजीव कानूनों का उल्लंघन: देश-विदेश से जानवरों की खरीद और उनके ट्रांसफर में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और जू नियमों का पालन न करना।
  • जानवरों के साथ दुर्व्यवहार: पशुओं के साथ अनुचित व्यवहार और उन्हें खराब रहन-सहन की स्थितियों में रखने के आरोप।
  • वित्तीय अनियमितताएं: प्रोजेक्ट में पैसों के लेन-देन में गड़बड़ी और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले।
  • माधुरी हथिनी मामला: महाराष्ट्र के कोल्हापुर की प्रसिद्ध हथिनी ‘महादेवी’ या ‘माधुरी’ के वनतारा स्थानांतरण के बाद बीमार पड़ने की घटना ने इस मामले को जबरदस्त जनता का गुस्सा दिया, जिसके बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि ये सभी आरोप अभी अप्रमाणित हैं और इनकी जांच का उद्देश्य तथ्यों का पता लगाना है।

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SIT की जांच: 200 सवाल और बहु-एजेंसी दबाव

SIT, जिसमें उत्तराखंड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले और अतिरिक्त कस्टम्स कमिश्नर अनीश गुप्ता जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, ने पिछले हफ्ते तीन दिन तक वनतारा परिसर का गहन निरीक्षण किया।

जांच टीम ने वनतारा के वरिष्ठ अधिकारियों, वित्तीय प्रमुख और निदेशक से मुलाकात की और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों का अवलोकन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, SIT के 200 सवालों में निम्नलिखित पहलुओं पर विस्तृत जानकारी मांगी गई है:

  • वित्तीय लेन-देन और फंडिंग।
  • भारत और विदेश से जानवरों को लाने-ले जाने की प्रक्रिया।
  • वन्यजीव संरक्षण कानूनों और चिड़ियाघर से जुड़े नियमों का पालन।
  • जानवरों के रहने की सुविधाएं, बाड़े और क्वारंटीन सुविधाएं।
  • मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और पशुओं का इलाज।
  • जानवरों का व्यापार या तस्करी।

इस जांच में SIT को 16 अन्य एजेंसियों का सहयोग मिल रहा है, जिनमें प्रवर्तन निदेशालय (ED)केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, राजस्व खुफिया निदेशालय, कस्टम्स विभाग और गुजरात पुलिस शामिल हैं। ED का शामिल होना वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की गंभीरता को दर्शाता है।

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वनतारा का पक्ष: “पूर्ण सहयोग का आश्वासन”

इस पूरे मामले पर वनतारा के एक प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, “हम सम्मानपूर्वक मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोच्च है। वनतारा पारदर्शिता, सहानुभूति और कानून का पूरी तरह पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारा मिशन और ध्यान हमेशा जानवरों के बचाव, पुनर्वास और देखभाल पर है। हम SIT के साथ पूरा सहयोग करेंगे और अपना काम ईमानदारी से जारी रखेंगे, हमेशा जानवरों की भलाई को हमारी सभी कोशिशों के केंद्र में रखते हुए। हम अनुरोध करते हैं कि इस प्रक्रिया को बिना अटकलों के और उन जानवरों के हित में पूरा होने दिया जाए, जिनकी हम देखभाल करते हैं।”

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आगे की राह: क्या होगा अगला कदम?

अब SIT वनतारा प्रबंधन से प्राप्त जवाबों और दस्तावेजों का विश्लेषण करेगी। टीम ने स्पष्ट किया है कि वनतारा द्वारा दिए गए दावों और जवाबों की पुष्टि के लिए वह स्वतंत्र रूप से अपनी जांच जारी रखेगी। इस प्रक्रिया में ED और CBI जैसी एजेंसियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, खासकर वित्तीय लेन-देन और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को ट्रैक करने में।

जनहित और पशु कल्याण से जुड़े इस बड़े मामले में पूरे देश की नजरें अब सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और SIT की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं। यह मामला भारत में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित वन्यजीव पुनर्वास केंद्रों के विनियमन और पारदर्शिता पर एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।

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