रीवा के हरदौली ग्राम पंचायत का एक किसान परिवार अपनी ही पैतृक ज़मीन पर अवैध कब्ज़े से जूझते हुए आत्महत्या की कगार पर पहुँच गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अपर कलेक्टर रीवा और तहसीलदार जवा के आदेश पीड़ितों के पक्ष में होने के बावजूद, स्थानीय दबंग खुलेआम इन सरकारी आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। यह गंभीर मामला सीधे तौर पर प्रशासन की साख और न्याय व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है कि दबंगों के आगे कानून इतना बेबस क्यों है।
Highlights
- रीवा के हरदौली ग्राम पंचायत में किसान परिवार की पैतृक ज़मीन पर दबंगों का अवैध कब्ज़ा।
- अपर कलेक्टर और तहसीलदार के आदेश पीड़ितों के पक्ष में, लेकिन दबंग खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं।
- दबंगों पर लाठी-डंडे, जानलेवा धमकियाँ और झूठे मुक़दमों में फँसाने का इल्ज़ाम।
- विशेष तथ्य: ज़मीन पर लिए गए सरकारी कर्ज़ (लोन) के चलते आर्थिक दबाव बढ़ा, जिससे किसान परिवार आत्महत्या के कगार पर।
- पीड़ितों ने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर तत्काल सुरक्षा और न्याय की माँग की।
अंकित मिश्रा, रीवा, 27 सितंबर 2025
रीवा, मध्य प्रदेश: न्याय की गुहार और सरकारी आदेशों की अनदेखी का एक दिल दहलाने वाला मामला रीवा से सामने आया है, जिसने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ग्राम पंचायत हरदौली का एक किसान परिवार अपनी पैतृक ज़मीन पर अधिकार पाने के लिए सालों से संघर्ष कर रहा है।
आदेशों की धज्जियां
ग्राम ओबरी की आराज़ी नंबर 59, 95, 102, 105 और 106 पर कब्ज़े का यह विवाद लंबे अरसे से चल रहा है। पीड़ित किसान लालभोर मिश्रा के भतीजों इंद्रेश मिश्रा और रामेश्वर मिश्रा ने तफ़सील देते हुए बताया कि लाला मिश्रा, मुनीम मिश्रा, संतोष मिश्रा समेत मंग❜गल मिश्रा और रामनरेश मिश्रा ने जबरन उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़ित परिवार के पक्ष में अपर कलेक्टर रीवा और तहसीलदार जवा जैसे अधिकारियों ने आदेश भी पारित किए हैं। यहाँ तक कि कुछ हिस्सों में धान की फसल भी बोई गई थी, लेकिन दबंगों ने उन आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखा दिया।

ट्रैक्टर के आगे महिलाएँ और झूठे मुक़दमे
जब भी किसान परिवार अपनी जमीन जोतने या खेती करने पहुँचता है, तो दबंग उन्हें लाठी-डंडों की धमकियों से डराते हैं। पीड़ितों का गंभीर इल्ज़ाम है कि दबंग, ट्रैक्टर के आगे महिलाओं को खड़ा कर देते हैं और किसानों को धारा 376 जैसे झूठे और गंभीर आरोपों में फँसाने की धमकी देकर पीछे हटने पर मजबूर कर देते हैं।
थाना प्रभारी के मौक़े पर पहुँचने पर भी दबंगों ने माफ़ी मांगकर मामला शांत किया, लेकिन पुलिस के जाते ही दोबारा अत्याचार शुरू हो गया। यह घटनाक्रम साफ ईशारा करता है कि दबंगों को कानून या प्रशासन का कोई डर नहीं है।

आर्थिक दबाव और आत्महत्या की नौबत
इस मामले का एक विशेष तथ्य यह है कि पीड़ित किसान ने इस पैतृक ज़मीन पर आधारित सरकारी कर्ज़ (लोन) लिया था। दबंगों के अवैध कब्ज़े और आदेशों की खुलेआम अवहेलना के कारण किसान न केवल खेती नहीं कर पा रहे हैं, बल्कि उन पर लोन चुकाने का अत्यधिक दबाव भी बढ़ गया है। लगातार धमकी और आर्थिक नुकसान के कारण किसान परिवार बेहद तनाव में है और उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर आत्महत्या करने की चेतावनी दी है। यह चेतावनी केवल एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे प्रशासन की निष्क्रियता का आईना है।
किसानों की माँगें साफ हैं: तत्काल पुलिस सुरक्षा, आदेशों का सख्ती से पालन, दबंगों पर FIR और कानूनी व आर्थिक मदद।
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