देवरी, सागर (मध्यप्रदेश)। सागर जिले के देवरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत मारूरवावरी में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का आलम चरम पर है। ग्रामवासियों के अनुसार, पंचायत प्रशासन की स्थिति इतनी बदहाल हो चुकी है कि महीनों से पंचायत भवन का ताला तक नहीं खुला है, जिससे शासकीय संपत्ति का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत भवन परिसर में चारों ओर तीन फीट ऊँची घास उग आई है, जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वहाँ लंबे समय से कोई प्रशासनिक गतिविधि नहीं हुई है।
Quick Highlights
- स्थान: सागर जिले के देवरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत मारूरवावरी।
- स्थिति: महीनों से पंचायत भवन बंद, परिसर में तीन फीट ऊँची घास उगी।
- लापरवाही: सचिव और सरपंच दोनों महीनों से नदारद, ग्रामीणों के मूलभूत कार्य ठप।
- प्रभाव: मनरेगा, सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुँच रहा, अभिलेखों पर धूल जम रही है।
- आशंका: ग्रामीणों को शक है कि सरपंच और सचिव मिलकर सरकारी राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं।
- मांग: प्रशासन से तत्काल जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग।
नदारद पदाधिकारी, ठप पड़े काम
मूलभूत कार्य प्रभावित
ग्राम पंचायत मारूरवावरी में पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी—न तो सचिव का कोई अता-पता है और न ही सरपंच दिखाई देते हैं। पदाधिकारियों के महीनों से नदारद रहने के कारण ग्रामीणों के मूलभूत कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि न तो मनरेगा (MNREGA) के तहत कोई कार्य चल रहा है, और न ही सरकारी योजनाओं की जानकारी या लाभ वंचित ग्रामीणों तक पहुँच पा रहे हैं। पंचायत भवन पर लटके ताले के कारण सरकारी अभिलेख और फाइलें धूल खा रहे हैं, जिससे प्रशासनिक जवाबदेही पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।
निधियों के दुरुपयोग की आशंका
पंचायत भवन की यह निष्क्रियता और शासन संपत्ति की उपेक्षा स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि ग्राम पंचायत मारूरवावरी भ्रष्टाचार का केन्द्र बिंदु बन चुकी है। स्थानीय लोगों की आशंका है कि सरपंच और सचिव मिलकर भारी अनियमितताएं कर रहे हैं और पंचायत निधियों का उपयोग गलत तरीके से कर रहे हैं, जिसका कोई स्पष्ट लेखा-जोखा उपलब्ध नहीं है।
ग्रामवासियों की मांग
ग्रामीणों ने इस गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल प्रभाव से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
ग्रामवासियों की मांग है कि:
- जिम्मेदार सचिव और सरपंच के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए।
- गाँव में पारदर्शिता और जवाबदेही की व्यवस्था तुरंत बहाल की जाए।
- पंचायत निधियों के उपयोग का स्पष्ट ऑडिट (Audit) किया जाए।
यह घटना दर्शाती है कि ग्रामीण विकास के लिए आवंटित शासकीय संपत्ति और निधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए कितना आवश्यक है।
रिपोर्ट: सोनू प्रजापति, सागर (मध्य प्रदेश) 📞 7582995977
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