सागर में 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) के अवसर पर एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और आत्महत्या जैसे गंभीर विषय की रोकथाम के बारे में जागरूक करना था। जिला अस्पताल सागर में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि, सीएमएचओ डॉ. ममता तिमोरी सहित कई विशेषज्ञों और स्वास्थ्यकर्मियों ने भाग लिया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं, खासकर महिलाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की और समाधान के लिए जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया।
आत्महत्या एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर 40 सेकंड में दुनिया में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। भारत में भी, यह एक चिंताजनक मुद्दा है, खासकर युवा और महिलाओं के बीच। इसे देखते हुए, केंद्र और राज्य सरकारें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और जागरूकता बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। यह कार्यक्रम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना है।
कार्यक्रम में बोलते हुए, सीएमएचओ डॉ. ममता तिमोरी ने महिलाओं में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि उन्हें सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण कई मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
सिविल सर्जन डॉ. आर.एस. जयंत ने अपने संबोधन में जीवन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों का सामना धैर्य और साहस के साथ कैसे किया जा सकता है। उन्होंने लोगों को प्रेरणा दी कि वे हार न मानें और हर चुनौती का डटकर मुकाबला करें।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (BMC) सागर के मनोचिकित्सक डॉ. संजय प्रसाद ने आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर अपने विचार साझा किए। उनके मार्गदर्शन में, बीएमसी के मेडिकल विद्यार्थियों ने एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया, जिसने आत्महत्या रोकथाम के संदेश को प्रभावी ढंग से दर्शकों तक पहुँचाया।
इसके अलावा, नोडल अधिकारी डॉ. आदित्य दुबे ने “टेली-मैनस हेल्पलाइन” और “मैनहित” ऐप के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये साधन कैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की मदद कर सकते हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. वशिष्ठ सेल्वन ने आत्महत्या की रोकथाम में मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेपों की भूमिका पर गहन चर्चा की। नर्सिंग अधिकारी ममता सैनी ने भी इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार रखे।

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