दर्द से लेकर त्वचा रोगों तक का रामबाण इलाज है यह पौधा, कही पर भी मिल जाता है आसानी से, जानिए इसके उपयोग

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हमारे आसपास खास कर के ग्रामीण क्षेत्र में सत्यानासी का पौधा बहुत पाया जाता है सत्यानाशी, एक ऐसा पौधा जो अपनी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। इसे उजर कांटा, प्रिकली पॉपी, कटुपर्णी, मैक्सिन पॉपी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है।

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सत्यानाशी का पौधा कैसा दिखता है

सत्यानाशी एक कांटेदार पौधा है, जिसके पत्ते गहरे हरे रंग के और किनारों पर नुकीले होते हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं और बीच में काले धब्बे होते हैं।

सत्यानाशी के औषधीय गुण

सदियों से आयुर्वेद में सत्यानाशी का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। सत्यानाशी में प्राकृतिक दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं, जिसके कारण इसे सिरदर्द, दांत दर्द और जोड़ों के दर्द में उपयोग किया जाता है। यह पौधा सूजन को कम करने में भी प्रभावी है। सत्यानाशी का उपयोग त्वचा रोगों जैसे कि दाद, खाज और खुजली में किया जाता है। सत्यानाशी के बीजों का तेल आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। और यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है।

सत्यानाशी का उपयोग कैसे करें

सत्यानाशी का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि पत्तियों का रस निकालकर त्वचा पर लगाया जा सकता है। बीजों से तेल निकालकर इसका उपयोग किया जा सकता है। पौधे के विभिन्न हिस्सों को उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है।

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सत्यानाशी का पौधा की सावधानी

सत्यानाशी एक शक्तिशाली पौधा है और इसका उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। किसी भी औषधि की तरह, सत्यानाशी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

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