देश में कई प्रकार के फसलों की खेती की जाती है और शलजम की खेती करना एक लाभदायक काम हो सकता है। यह एक ऐसी सब्जी है जिसे भारत में कई क्षेत्रों में उगाया जाता है और इसकी मांग भी अच्छी है। अगर आप शलजम की खेती करना चाहते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए। तो आइये जानते है इसके बारे में
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मिट्टी और जलवायु
शलजम के लिए बलुई दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी नरम और अच्छी तरह से सूखा हुआ होना चाहिए। शलजम ठंडे मौसम की फसल है और 12 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी तरह से बढ़ती है। शलजम की बुवाई आमतौर पर सर्दियों के मौसम में की जाती है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
बुवाई की विधि
खेत को अच्छी तरह से जोतें और समतल करें। बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं। बीजों के बीच 15-20 सेंटीमीटर का और पंक्तियों के बीच 30-40 सेंटीमीटर का अंतर रखें। लजम को नियमित रूप से पानी दें, खासकर गर्मी के मौसम में। मिट्टी को हमेशा नम रखें लेकिन जलभराव न होने दें। बुवाई से पहले खेत में अच्छी गुणवत्ता वाली खाद डालें। आवश्यकतानुसार उर्वरक भी डाल सकते हैं। खरपतवारों को समय-समय पर हटाते रहें ताकि वे शलजम की पौधों को पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा न करें। शलजम को कई कीट और रोगों का खतरा होता है। नियमित रूप से खेत की जांच करें और किसी भी समस्या को जल्दी से नियंत्रित करें।
शलजम की खेती से कमाई
शलजम को जब वे पूरी तरह से विकसित हो जाएं तो काटा जा सकता है। यह बुवाई के 40 से 60 दिनों के भीतर शलजम की फसल तैयार हो जाती है। कमाई की बात करे तो इससे किसानों को अच्छी खासी आय होती है। यह खुले बाजार में 2200 से 2300 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकता है।