सीधी। मध्यप्रदेश के सीधी जिले की ग्राम पंचायत भितरी (मंडल बहरी) में भाजपा मंडल उपाध्यक्ष अवधेश सिंह चौहान पर आरोप है कि उन्होंने एक युवक को फोन पर गालियां दीं। घटना का ऑडियो वायरल है, पीड़ित ने पुलिस को आवेदन दिया है, लेकिन FIR दर्ज नहीं हुई।
अब मामला और गरमा गया है क्योंकि युवक की पत्नी ने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर आंदोलन की चेतावनी दी और भाजपा पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया कि — “जब बिहार में पीएम मोदी को गाली दी गई थी, तब बीजेपी ने पूरे बिहार में बंद कराया था, लेकिन सीधी में अपने ही नेता द्वारा गाली देने पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?”
ग्राम पंचायत भितरी (करहिया टोला) में सरपंच अनुपमा सिंह निर्वाचित हैं, लेकिन पंचायत संचालन उनके पिता और भाजपा मंडल उपाध्यक्ष अवधेश सिंह चौहान के हाथों में बताया जाता है।
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कुछ दिन पहले पंचायत के व्हाट्सएप ग्रुप में एक युवक ने पीएम आवास प्लस सर्वे को लेकर सवाल पूछा — “करहिया टोला से कितने नाम सूची में शामिल हैं?”
आरोप है कि इस सवाल के बाद अवधेश सिंह ने युवक को फोन कर अशब्द और गालियां दीं। इसकी रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
युवक ने बहरी थाने में आवेदन दिया है, लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं हुई और पुलिस-प्रशासन खामोश है।
सीधी: BJP मंडल उपाध्यक्ष पर युवक को गाली देने का आरोप | Audio Viral
युवक की पत्नी ने इंस्टाग्राम अकाउंट @queen_nilamsondhiya_sidhi_mp से वीडियो जारी किया।
वीडियो में उन्होंने कहा:
“ग्राम पंचायत भितरी के सरपंच प्रतिनिधि व भाजपा मंडल उपाध्यक्ष जो मेरे पति को गाली दिए हैं उनसे जवाब चाहिए। जब बिहार में मोदी जी को गाली दी गई थी तब बीजेपी ने पूरा बिहार बंद कराया था, अब हम क्या करें? हम लाड़ली बहनों का सम्मान चाहते हैं, 1250 रुपए वाला सम्मान नहीं चलेगा।”
उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि आवेदन देने के बावजूद FIR दर्ज नहीं की गई है। साथ ही चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगी।
इस घटना को लेकर भाजपा की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
🔴 बिहार में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल हुआ था, तब भाजपा ने पूरा बिहार बंद कर दिया था।
🔴 लेकिन सीधी में अपने ही मंडल उपाध्यक्ष द्वारा गाली देने पर FIR तक दर्ज नहीं हुई।
🔴 क्या भाजपा नेतृत्व के लिए अपमान का पैमाना व्यक्ति पर निर्भर करता है — दिल्ली/बिहार में अलग, और मध्यप्रदेश में अलग?
🔴 क्या पुलिस-प्रशासन राजनीतिक दबाव में है?
🔴 क्या आम जनता के सवाल पूछने पर गालियां सुनना अब “सामान्य BJP व्यवहार” बन गया है?
यह घटना भाजपा नेतृत्व और प्रशासन दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है:
🔴 क्या भाजपा पदाधिकारी और उनके परिजन सत्ता का दुरुपयोग कर सकते हैं और बिना जवाबदेही के बच सकते हैं?
🔴 FIR दर्ज न करना क्या पुलिस-प्रशासन पर राजनीतिक दबाव का नतीजा है?
🔴 क्या आम जनता के सवाल पूछने पर गालियां सुनना अब सामान्य हो गया है?
🔴 क्या पंचायत की पारदर्शिता केवल दिखावा है और असली नियंत्रण कुछ लोगों के हाथ में है?
🔴 क्या यह लोकतंत्र की जगह दबंगई का प्रतीक नहीं है?
ग्रामीणों का गुस्सा
- ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में लोकतांत्रिक जवाबदेही की जगह दबंगई का राज चल रहा है।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई नहीं की तो वे SP कार्यालय के सामने शांतिपूर्ण धरना देंगे।
फिलहाल, पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों की निगाहें अब प्रशासन और भाजपा नेतृत्व पर हैं कि क्या वे न्याय करेंगे या मामले को दबा देंगे।

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