अभी कुछ ही दिनों में मानसून आने वाला है और मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में सोयाबीन की बुवाई शुरू हो जाएगी। ऐसे में बंपर पैदावार लेने के लिए किसानों को सोयाबीन की खेती नियोजित तरीके से करनी चाहिए। इसके लिए खेत की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से छोटी, मध्यम और लंबी अवधि में पकने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए और उन्नत तरीकों से सोयाबीन की बुवाई करनी चाहिए। ताकि कम या ज्यादा बारिश दोनों ही स्थितियों में सोयाबीन की अच्छी पैदावार मिल सके।
यह भी पढ़े- iPhone की हवा टाइट करने Nothing ला रहा एक और जबरदस्त स्मार्टफोन, इतनी हो सकती है कीमत
Table of Contents
विशेषज्ञों की सलाह (Vishesh ki Salah)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि सोयाबीन की बेहतर पैदावार लेने के लिए किसानों को नियोजित तरीके से खेती करनी चाहिए। इसके लिए किसानों को किस्मों के चुनाव और बुवाई की विधि, खेत की भौगोलिक स्थिति जैसे जलभराव या ऊंचाई वाले खेतों में कौन सी किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए, कम या ज्यादा बारिश जैसी दोनों स्थितियों में अच्छा उत्पादन मिल सके, इसको देखते हुए छोटी, मध्यम या लंबी अवधि में पकने वाली किस्मों का चुनाव या फिर ऐसी बुवाई विधि अपनाना जो कम या ज्यादा बारिश दोनों ही दशाओं में सोयाबीन का अच्छा उत्पादन दे सके, इन कुछ विशेष बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
बीजों का चुनाव कैसे करें (Beejon ka Chunav kaise karein)
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि बीजों का चुनाव करते वक्त किसानों को कुछ बातों का ध्यान जरूर देना चाहिए, जैसे मिट्टी कैसी है, उनके पास प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता क्या है, उनके खेतों का आकार और उनकी दशा कैसी है, जलभराव वाले खेत हैं या नहीं। इस सारी आवश्यक जानकारी के आधार पर ही सोयाबीन की किस्मों का चुनाव करें।
समय के अनुसार किस्मों का चुनाव (Samay ke अनुसार Kismon ka Chunav)
जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जल्दी पकने वाली किस्मों का इस्तेमाल करें, जैसे जेएस 2034, जेएस 2029, जेएस 9560 ये किस्में 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। वहीं थोड़ा ज्यादा समय लेने वाली किस्मों में जेएस 2098, जेएस 2172 किसानों के लिए बेहतर विकल्प हैं। ये किस्में 90 से 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं और आसानी से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार दे देती हैं।
‘Ridge and Furrow’ विधि से करें बुवाई (‘Ridge and Furrow’ Vidhi se karein Buwai)
कृषि वैज्ञानिक डॉ वेद प्रकाश जी ने बताया कि सोयाबीन की बेहतर पैदावार लेने के लिए किसानों को ‘Ridge and Furrow’ विधि से सोयाबीन की बुवाई करनी चाहिए। ‘Ridge and Furrow’ विधि से बुवाई करने के लिए विशेष सीड ड्रिल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बुवाई के समय बीच-बीच में मेड़ बनाई जाती है। और बीज इन मेड़ों पर आ जाता है। इस विधि में कम बीज और कम लागत में ज्यादा मुनाफा होता है।
यह भी पढ़े- Alto की हवा निकालने वाली Tata की दमदार कार पर मिल रहा बम्पर छूट, माइलेज भी है झन्नाट
इसके अलावा ज्यादा बारिश की स्थिति में भी सोयाबीन का पौधा मेड़ पर ही रहेगा और उसमें जल्दी किसी तरह की सड़न और फफूंद नहीं लग पाएगी। साथ ही जब खेत में पानी भर जाता है तो पौधा अपने आप अपनी जरूरत के अनुसार पानी खींच लेता है। बारिश के पानी को व्यर्थ बहने देने की बजाय जमीन में सोखने में भी ये तरीका काफी मददगार है।