धांसू नस्ल की है ये गाय हर दिन 20 लीटर दूध देने में सक्षम, देखे इसकी खासियत

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धांसू नस्ल की है ये गाय हर दिन 20 लीटर दूध देने में सक्षम, देखे इसकी खासियत

गाय पालना अब सिर्फ खेती का ही हिस्सा नहीं रहा, बल्कि यह एक फायदेमंद बिजनेस भी बनता जा रहा है। आजकल पढ़े-लिखे युवा भी अच्छी नौकरी छोड़कर गाय पालन की तरफ रुख कर रहे हैं। लेकिन गाय का चुनाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि हर नस्ल उतना दूध नहीं देती। अगर आप ज्यादा दूध देने वाली गाय की तलाश में हैं, तो लाल सिंधी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

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लाल सिंधी गाय की पहचान

लाल सिंधी गाय को कई जगह लाल सिंधी गाय के नाम से भी जाना जाता है। यह एक भारतीय गाय की नस्ल है, जो ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है। यह गाय औसतन एक लैक्टेशन में 1840 लीटर दूध देती है। हालांकि, इसकी उत्पत्ति पाकिस्तान के बलूचिस्तान के बेला राज्य में मानी जाती है। लेकिन आजकल पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सहित कई राज्यों के किसान इसका पालन कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

लाल सिंधी गाय की खासियतें

  • लाल सिंधी गाय का रंग गहरा लाल या हल्का लाल होता है।
  • इनकी लंबाई लगभग 140 सेंटीमीटर और ऊंचाई 120 सेंटीमीटर होती है।
  • वजन 320 से 340 किलोग्राम के बीच होता है।
  • अधिकतर किसान लाल सिंधी गाय को दूध के लिए ही पालते हैं। इनके दूध में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
  • एक लाल सिंधी गाय एक लैक्टेशन में कम से कम 1100 लीटर और ज्यादा से ज्यादा 2600 लीटर दूध दे सकती है।
  • इसके दूध में 4.5 प्रतिशत फैट पाया जाता है।
  • यह रोजाना 12 से 20 लीटर दूध दे सकती है।
  • लाल सिंधी गाय की कीमत 80 हजार रुपये तक हो सकती है, हालांकि ये दूध देने की क्षमता पर निर्भर करती है।

बताया जाता है कि भारतीय गाय की नस्लों में से लाल सिंधी गाय सबसे ज्यादा दूध देती है।

लाल सिंधी गाय को क्या खिलाएं?

अगर आप लाल सिंधी गाय का पालन शुरू करना चाहते हैं, तो उनके खाने का भी ध्यान रखना चाहिए। इन गायों को उनकी जरूरत के हिसाब से ही आहार दें। जरूरत से ज्यादा चारा या दाना देने से इनकी पाचन शक्ति खराब हो सकती है। फलियों वाला चारा खिलाने से पहले उसमें पुआल या अन्य चारा मिला दें। इससे इनका पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। आप इन्हें ज्वार, जई, चोकर, मक्का, जौ, ज्वार, गेहूं, चावल की पॉलिश, मक्के का छिलका आदि भी खिला सकते हैं। इससे दूध उत्पादन बढ़ता है।

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