नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2025: अगर आप यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का नियमित रूप से उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI लेनदेन को और अधिक तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के उद्देश्य से 1 अगस्त, 2025 से 5 नए नियम लागू करने की घोषणा की है। ये बदलाव अनावश्यक गतिविधियों पर लगाम लगाने और सिस्टम पर बढ़ते लोड को कम करने के लिए किए जा रहे हैं।
हाल के दिनों में, UPI के माध्यम से भुगतान भेजने या प्राप्त करने में रुकावट और देरी से संबंधित शिकायतों में वृद्धि देखी गई है, खासकर अप्रैल और मई 2025 के बीच। NPCI का कहना है कि इसका एक बड़ा कारण यह है कि कई उपयोगकर्ता लगातार बैलेंस चेक करते हैं या किसी भुगतान का स्टेटस बार-बार मिनटों तक जांचते रहते हैं, जिससे सिस्टम पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और लेनदेन की गति प्रभावित होती है।
विषय-सूची (Table of Contents)
- क्यों लागू हो रहे हैं ये नए नियम?
- 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले 5 नए नियम
- बैलेंस चेक करने की लिमिट
- लिंक किए गए बैंक अकाउंट्स चेक करने की लिमिट
- पेमेंट का स्टेटस चेक करना
- ऑटोपे ट्रांजेक्शन के मामले में
- पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) की लिमिट
- इन नियमों का आप पर क्या असर होगा?
- NPCI का लक्ष्य
1. क्यों लागू हो रहे हैं ये नए नियम?
NPCI के अनुसार, UPI सिस्टम पर बढ़ते लोड और लेनदेन में होने वाली देरी या रुकावटों को कम करने के लिए इन नए नियमों को लागू किया जा रहा है। अप्रैल और मई 2025 के बीच पेमेंट भेजने या प्राप्त करने में शिकायतें बढ़ी हैं, जिसका मुख्य कारण उपयोगकर्ताओं द्वारा बार-बार बैलेंस चेक करना या पेमेंट स्टेटस की लगातार जांच करना है। ये अनावश्यक गतिविधियाँ सर्वर पर दबाव डालती हैं, जिससे समग्र लेनदेन की गति प्रभावित होती है।
2. 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले 5 नए नियम
UPI उपयोगकर्ताओं को 1 अगस्त, 2025 से इन 5 प्रमुख बदलावों का ध्यान रखना होगा:
- बैलेंस चेक करने की लिमिट: अब उपयोगकर्ता एक दिन में अपने UPI ऐप से सिर्फ 50 बार ही बैंक बैलेंस चेक कर सकेंगे। यह सीमा बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए लगाई गई है, जिससे लेनदेन की गति धीमी हो जाती है।
- लिंक किए गए बैंक अकाउंट्स चेक करने की लिमिट: सभी उपयोगकर्ता अब किसी एक UPI ऐप पर अपने फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों को दिन में अधिकतम 25 बार ही देख पाएंगे।
- पेमेंट का स्टेटस चेक करना: किसी लेनदेन के मामले में उपयोगकर्ता पेमेंट का स्टेटस दिन में केवल 3 बार ही देख पाएंगे। इन 3 प्रयासों के बीच हर बार कम से कम 90 सेकंड का गैप होना अनिवार्य है।
- ऑटोपे ट्रांजेक्शन के मामले में: विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर ऑटोपे (Autopay) ट्रांजेक्शन के लिए निश्चित समय-सीमा निर्धारित की गई है। एक दिन में यह टाइमिंग सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक और रात 9:30 बजे के बाद होगी। ऑटोपे ट्रांजेक्शन का मतलब है किसी सब्सक्रिप्शन, SIP, EMI या बिल का अमाउंट अपने आप तय वक्त पर कट जाना।
- पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) की लिमिट: चार्जबैक यानी पेमेंट रिवर्सल की सीमा तय की गई है। अब आप 30 दिन में 10 बार और किसी एक व्यक्ति या एंटिटी से 5 बार ही चार्जबैक (भुगतान वापसी) का अनुरोध कर सकते हैं।
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3. इन नियमों का आप पर क्या असर होगा?
ये बदलाव सभी UPI (Unified Payment Interface) उपयोगकर्ताओं के लिए हैं। हालांकि, यदि आप सामान्य रूप से बार-बार बैलेंस या स्टेटस चेक नहीं करते हैं, तो आपके लिए कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी। ये नियम मुख्य रूप से उन उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करेंगे जो अत्यधिक बार-बार सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिससे अनावश्यक लोड बनता है।
4. NPCI का लक्ष्य
NPCI का लक्ष्य UPI को और अधिक सुचारु, कुशल और विश्वसनीय बनाना है। इन नए नियमों के माध्यम से, NPCI अनावश्यक गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है ताकि सिस्टम पर लोड कम हो सके और सभी उपयोगकर्ताओं के लिए लेनदेन का अनुभव बेहतर हो सके।
UPI के इन नए नियमों को ध्यान में रखते हुए, उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने लेनदेन की आदतों पर थोड़ा ध्यान दें ताकि 1 अगस्त, 2025 से किसी भी असुविधा से बचा जा सके।
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