बुरहानपुर में बडी संगत पातशाही दशमी पर 21 दिसंबर से 26 दिसंबर तक मनाया शहादत दिवस,इस प्रभात फेरी में शामिल हुए सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ।

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 शहादत दिवस

धुलकोट (जनक्रांति न्यूज़) दिलीप बामनिया  

Voice Over : गुरु तेग बहादुर जी के शहादत एवं चार साहिब जादो के शहादत दिवस पर निकाली गई प्रभात फेरी,प्रभात फेरी में सिख समाज सहित, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल महापौर, भाजपा जिला अध्यक्ष सहित सभी वर्ग के लोग हुए शामिल,प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादो की याद में वीर बालदिवस के रूप में याद करने मनाने की घोषणा से युवाओं ने माना प्रधान मंत्री जी का आभार ,वजीर खां ने छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह तथा माता गुजरी जी को पौष महीने की तेज सर्द रातों में तकलीफ देने के लिए ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया, यह चारों ओर से खुला और उंचा था। इस ठंडे बुर्ज से ही माता गुजरी जी ने छोटे साहिबजादों को लगातार तीन दिन धर्म की रक्षा के लिए शीश न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया था। यही शिक्षा देकर माता गुजरी जी साहिबजादों को नवाब वजीर खान की कचहरी में भेजती रहीं। 

बडी संगत पातशाही दशमी बुरहानपुर द्वारा 21 दिसंबर से 26 दिसंबर तक मनाया  शहादत दिवस* ।

गुरु तेग बहादुर जी के शहादत एवं चार साहिब जादो के शहादत दिवस पर निकाली गई प्रभात फेरी।,

प्रभात फेरी में सिख समाज सहित, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल महापौर, जिला अध्यक्ष सहित सभी वर्ग के लोग हुए शामिल।

प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को छोटे साहिबजादो की याद में वीर बालदिवस के रूप में याद करने मनाने की घोषणा से युवाओं ने माना प्रधान मंत्री जी का आभार 

वजीर खां ने छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह बाबा फतेह सिंह तथा माता गुजरी जी को पूस महीने की तेज सर्द रातों में तकलीफ देने के लिए ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया। यह चारों ओर से खुला और उंचा था। इस ठंडे बुर्ज से ही माता गुजरी जी ने छोटे साहिबजादों को लगातार तीन दिन धर्म की रक्षा के लिए सीस न झुकाने और धर्म न बदलने का पाठ पढ़ाया था। यही शिक्षा देकर माता गुजरी जी साहिबजादों को नवाब वजीर खान की कचहरी में भेजती रहीं। 7 व 9 वर्ष से भी कम आयु के साहिबजादों ने न तो नवाब वजीर खां के आगे शीश झुकाया और न ही धर्म बदला। इससे गुस्साए वजीर खान ने 26 दिसंबर, 1705 को दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया था। जब छोटे साहिबजादों की कुर्बानी की सूचना माता गुजरी जी को ठंडे बुर्ज में मिली तो उन्होंने भी शरीर त्याग दिया।

श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों में दो अन्य चमकौर की जंग में शहीद हुए थे। गुरु गोबिद ने अपने दो पुत्रों को स्वयं आशीर्वाद देकर जंग में भेजा था। चमकौर की जंग में 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की थी। 6 दिसंबर, 1705 को हुई इस जंग में बाबा अजीत सिंह (17) व बाबा जुझार सिंह (14) ने धर्म के लिए बलिदान दिया था। 

सिक्ख समुदाय के युवाओं द्वारा  जरूरतमंदों की सेवा और गुरु साहिब द्वारा दी गई कुर्बानियों के बारे में छोटे बच्चो विद्यार्थियों को अवगत कराया।

बाइट=सांसद ज्ञानेश्वर पाटील

बाइट=जिला अध्यक्ष मनोज लधवे

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