नई दिल्ली, 2 मार्च, जनक्रांति न्यूज,: —– सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग की नियुक्ति को लेकर अहम फैसला सुनाया है। इसमें कहा गया है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए एक पैनल का गठन किया जाना चाहिए… इस पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में मुख्य विपक्षी नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि अगर सही तरीके से चुनाव कराना है तो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि इस पैनल की सलाह पर केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो अन्य चुनाव आयुक्तों को नियुक्त किया जाना चाहिए. इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में केंद्र सरकार के साथ-साथ मुख्य विपक्ष और न्याय व्यवस्था भी शामिल होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य पारदर्शी चुनाव कराना और स्वच्छ चुनाव कराना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर लोकतांत्रिक देश में चुनाव कराने का तरीका साफ नहीं है तो देश में इसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय चुनाव आयोग के पास एक स्वतंत्र सचिवालय, निर्णय लेने की शक्तियां और अपना बजट होना चाहिए। अब तक केंद्रीय चुनाव आयोग को फंड के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय न्याय मंत्रालय के पास जाना पड़ता था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब भारत की संचित निधि से सीधे पैसा निकालना संभव हो गया है।
वर्तमान में, प्रधान मंत्री की सिफारिश के साथ, भारत के राष्ट्रपति पूर्व आईएएस अधिकारियों को मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों को अधिकतम छह साल की अवधि के लिए नियुक्त करते हैं। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक कॉलेजियम प्रणाली स्थापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है ताकि केंद्र सरकार को चुनाव आयुक्तों के रूप में उनके अनुकूल लोगों को नियुक्त करने से रोका जा सके। यह याचिका अरुण गोयल की ईसी के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई की और इस आशय का एक महत्वपूर्ण फैसला जारी किया। इस प्रकार इसने केंद्र सरकार के इस तर्क पर रोक लगा दी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
अरुण गोयल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 19 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उन्हें 18 नवंबर को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 21 नवंबर को चुनाव आयोग का पदभार ग्रहण किया था। इस नियुक्ति की कड़ी आलोचना हुई थी। विपक्ष इस बात से बौखलाया हुआ था कि केंद्र सरकार ने अपने चहेते व्यक्ति को चंद घंटों में ही चुनाव आयोग बना दिया।
—- M Venkata T Reddy, Journalist, MP Jankranti News,