Bakari Palan: ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल बकरी पालन का रोजगार तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, बकरी पालकों को अक्सर बकरियों में बांझपन की समस्या से जूझना पड़ता है. इसका असर सिर्फ बकरियों पर ही नहीं बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है. दरअसल, बांझ पशुओं को पालना आर्थिक बोझ है. ऐसे में आइए जानते हैं कि हम इस समस्या से कैसे बच सकते हैं.
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बांझपन की समस्या क्या है?
बकरी के एक बार बच्चे को जन्म देने के बाद, अगले बच्चे के जन्म तक वो पशुपालक के लिए बोझ बन जाती है. जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. गर्भपात एक संक्रामक रोग है और इस संक्रामक रोग के मुख्य कारण ब्रुसेलोसिस, साल्मोनेलोसिस, वाइब्रियोसिस, क्लैमिडियोसिस आदि होते हैं.
ये समस्या कैसे होती है?
बकरी में बांझपन की समस्या सबसे ज्यादा इस वजह से होती है क्योंकि ये बीमारी बीमार बकरी के गर्भाशय स्राव, मूत्र, गोबर, प्लेसेंटा आदि के माध्यम से बाहर आती है. फिर ये बाकी जानवरों को भी संक्रमित कर देती है. ये संक्रमण दूषित चारे को खाने से, बीमार पशु की योनि को चाटने से और एक-दूसरे के पास आने से फैलता है. जिससे बाकी पशु भी इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं और उन्हें भी बांझपन की समस्या हो जाती है.
बांझपन से बचाव के उपाय
इस बीमारी के इलाज और बचाव के लिए बीमार बकरियों को पूरी तरह से अलग रखना चाहिए. उनके रहने के स्थान को साफ रखना चाहिए. बीमार बकरी के पिछले हिस्से को लाल दवाई आदि कीटनाशकों से साफ करना चाहिए और साथ ही उनके रहने के स्थान में फ्यूरी बोलस या हैबिटिन पेसरी जैसी दवाएं भी डालनी चाहिए. ठीक से जांच के बाद बीमार नर और मादा को समूह में नहीं रखना चाहिए और न ही प्रजनन के लिए इस्तेमाल करना चाहिए.
अतिरिक्त जानकारी
- स्वस्थ बकरों के लिए संतुलित आहार और साफ पानी जरूरी है.
- नियमित रूप से पशु चिकित्सक से जांच करवाएं.
- बांझपन के लक्षण दिखाई देने पर देरी ना करें और तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें.