कम लागत में डबल मुनाफा देंगी इस मसाले की खेती, पूजा- पाठ से लेकर औषधि के रूप में भी होता है उपयोग, जानिए कैसे करे इसका पालन

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भारत सबसे ज्यादा कृषि प्रधान देश है। यहां अनेक तरह ही खेती की जाती है। ऐसे ही एक खेती है लौंग की। जिसका इस्तेमाल हर घर में किया जाता है तो इसकी डिमांड पूरे साल बरकरार रहती है। पूजा-पाठ में लौंग का एक विशेष स्थान है। लौंग में कई औषधीय गुण होते हैं। लौंग की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका उपयोग सर्दी-ख़ासी, गला खराब होने जैसी कई समस्याओ में भी किया जाता है। इसका पौधा एक बार लगाने पर कई सालो तक चलता है। इस कारण से किसानो को डबल मुनाफा होता है।

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आपको बता दे, अगर आप लौंग की खेती घर पर करना चाहते है तो कर सकते है इसमें कम खर्च लगता है। इसे आप आसानी से गमले में भी लगा सकते है। वैसे तो लौंग की खेती देश के सभी हिस्सों में की जाती है। घर पर लौंग की खेती करना आसान है। इसके लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा। तो आइये जानते है लौंग की खेती करने के लिए कौन सी मिट्टी और कौन सा इलाका उपयुक्त माना गया है और कौन से बीज का इस्तेमाल किया जाता है।

लौंग की खेती के लिए बीज

अगर आप लौंग की खेती करना चाहते हैं, तो एक दिन पहले इसके बीज को पानी में भिगोकर रखें. इसके बाद बीज के ऊपर के छिलके को हटा दें और फिर बुवाई करें. 10 सेंटीमीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाती है. वहीं, इसके खेत में हमेशा जैविक खाद का ही इस्तेमाल करें। बीज के अलावा आप कलमों से भी उगा सकते हैं। बीज से पौधा उगने में 4-5 साल लग जाते है और कलमों से 3-4 साल में फल देना शुरू कर देते हैं।

लौंग की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

लौंग की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी तथा नम कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती को जलभराव वाली भूमि में नहीं करना चाहिए। जलभराव की स्थिति में इसके पौधों के खराब होने की स्थिति बढ़ जाती है। लौंग की खेती के लिए 20 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तक का तापमान अच्छा रहता है। मिट्टी का pH 6.5-7.5 के मध्य होना चाहिए।

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लौंग के पौधों की रोपाई का तरीका

  • लौंग की खेती जून से जुलाई के महीने में करनी चाहिए।
  • रोपण से पहले 2-3 घंटे के लिए उन्हें पानी में भिगो दें।
  • इसके बाद आप 10-15 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोदें और कलमों को रोप दें।
  • फिर मिट्टी को अच्छी तरह से दबा दें और पौधे को पानी दें।
  • इसके बाद इसमें नियमित रूप से पानी दें।
  • साथ ही, पौधे को जैविक खाद और उर्वरक दें।
  • रोगों और कीटों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।
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