कम समय में चीकू की खेती से बंपर कमाई, जानें इसकी उन्नत किस्में और खेती की तकनीक

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किसान को फलों की खेती से ज्यादा मुनाफा हो रहा है। ऐसे में अधिकतर किसान चीकू की खेती से अच्छी आमदनी कमा रहे है। चीकू की अच्छी किस्म की बुवाई करने से किसान को भारी पैमाने पर लाभ प्राप्त होता है। इसकी खेती के लिए पौधा तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय मार्च-अप्रैल है। चीकू कई पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। इसलिए इसकी मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। ऐसे में किसान भाई चीकू की खेती से मोटी कमाई कर सकते है। आइए जानते है चीकू की खेती के बारे में.

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आपको बता दें, चीकू के पौधे गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद करते हैं। इन्हें पनपने के लिए भरपूर धूप और नियमित पानी की भी आवश्यकता होती है। बीज से रोपण के अलावा, चीकू के पौधों को सॉफ्टवुड कटिंग या एयर लेयरिंग द्वारा भी लगाया जा सकता है। या फिर आप इसे नर्सरी से पौधा खरीदकर भी लगा सकते हैं।

चीकू की किस्में:-

1) कालीपट्टी – महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तरी कर्नाटक में खेती की जाती है। चौड़ी, मोटी पत्तियाँ और आयताकार फल।

2) क्रिकेट की गेंद – तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाया जाता है। फल आकार में बड़ा, गोल और दानेदार गूदे वाला मीठा होता है।

3) सीओ.1, सीओ.2, पीकेएम.1, कं.3 : तमिलनाडु में उगाया जाता है।

4) पीलीपट्टी – महाराष्ट्र और गुजरात में उगाया जाता है।

5) पाला – आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पाया जाता है। यह अधिक उपज देने वाली किस्म है।

भारत में पाई जाने वाली अन्य किस्में गुथी, बैंगलोर, कीर्तिबारथी और पीकेएम (2, 3, 4 और 5) अंडाकार, ढोला दीवानी, द्वारपुड़ी और छत्री हैं।

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खेती के लिए उपर्युक्त मिट्टी

चीकू की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली गहरी जलोढ़, रेतली दोमट और काली मिट्टी उत्तम रहती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी एच 6-8 उपयुक्त होता है। चिकनी मिट्टी और कैल्शियम की उच्च मात्रा युक्त मिट्टी में चीकू की खेती होती है। चीकू के पौधे को प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे धूप जरूरी है।

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खेती की तैयारी

चीकू बीज को लगभग एक इंच गहरी मिट्टी में डालें और पानी दें। एक बार जब पेड़ अंकुरित हो जाता है, तो चीकू के पेड़ को फल लगने में 5 से 8 साल का समय लगता हैं। वानस्पतिक विधि द्वारा तैयार चीकू के पौधों में दो वर्षो के बाद फूल एवं फल आना आरम्भ हो जाता है। इसमें फल साल में दो बार आता है, पहला फरवरी से जून तक और दूसरा सितम्बर से अक्टूबर तक। फूल लगने से लेकर फल पककर तैयार होने में लगभग चार महीने लग जाते हैं। चीकू में फल गिरने की भी एक गंभीर समस्या है।

फल गिरने से रोकने के लिये पुष्पन के समय फूलों पर जिबरेलिक अम्ल के 50 से 100 पी.पी.एम. अथवा फल लगने के तुरन्त बाद प्लैनोफिक्स 4 मिली./ली.पानी के घोल का छिड़काव करने से फलन में वृद्धि एवं फल गिरने में कमी आती है। चीकू का पेड़ 30 मीटर (100 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। चीकू का पेड़ धीमी गति से बढ़ता है, लेकिन एक बार जब यह फल देना शुरू कर देता है, तो यह कई वर्षों तक फल देना जारी रखता है। चीकू पर फल इस बात पर निर्भर करता है कि पौधों का प्रचार-प्रसार कैसे किया जाता है।

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