देश में कई तरह की फसलों की खेती की जाती है और शकरकंद एक ऐसी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय हो सकती है। आइए जानते हैं शकरकंद की खेती के बारे में विस्तार से:
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मिट्टी और जलवायु की आवश्यकताएं
शकरकंद के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच 5.7 से 6.7 के बीच होना चाहिए। शकरकंद गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। इसे कम वर्षा की आवश्यकता होती है।खेती से पहले जमीन को अच्छी तरह से जोतकर तैयार करें। खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। NPK उर्वरक का भी उपयोग कर सकते हैं।
बुवाई कैसे करे
शकरकंद को गर्मी के मौसम में लगाया जाता है। बीज को 15-20 सेमी की दूरी पर और 5-7 सेमी की गहराई पर लगाएं। सिंचाई शकरकंद को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। खेत में पानी जमा न होने दें। शकरकंद को समय-समय पर खाद और उर्वरक देने की आवश्यकता होती है। आप जैविक खाद के साथ-साथ रासायनिक उर्वरक का भी उपयोग कर सकते हैं।
निराई-गुड़ाई
खेत में समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सके। कीट और रोगों का नियंत्रण शकरकंद को कई प्रकार के कीट और रोगों से खतरा होता है। कीट और रोगों के नियंत्रण के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं।
कटाई और कमाई
शकरकंद को 4-5 महीने में तैयार हो जाता है। कटाई के समय ध्यान रखें कि शकरकंद को जड़ सहित निकाला जाए। एक हेक्टेयर में शकरकंद की खेती करते हैं, तो उनको 25 टन तक पैदावार मिल सकती है. अगर आप कम से कम 10 रुपये किलो भी शकरकंद बेचते हैं, तो 25 टन शकरकंद बेचकर ढ़ाई लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं.