देश में कई तरह की फसलों की खेती की जाती है और हल्दी की भी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, हल्दी एक महत्वपूर्ण मसाला और औषधीय पौधा है, जिसकी खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है। हल्दी की मांग बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसकी खेती एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है। तो आइये जानते है इसके बारे में….
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हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
- जलवायु: हल्दी की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु उपयुक्त होती है। 22 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और 225 से 250 सेंटीमीटर वर्षा इसकी खेती के लिए आदर्श है।
- मिट्टी: हल्दी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी में अच्छी जल निकासी की क्षमता होनी चाहिए।
हल्दी की उन्नत किस्में
- सुगंधा: उच्च उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधी किस्म है।
- रोगन: पीली हल्दी की एक लोकप्रिय किस्म है।
- प्रभा: उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी की किस्म है।
हल्दी की खेती कैसे करे
दक्षिणी भारत में जून-जुलाई और उत्तरी भारत में मार्च-अप्रैल में हल्दी की बुवाई की जाती है। लगाने के लिए पंक्तियों के बीच की दूरी 60-75 सेंटीमीटर और पौधों के बीच की दूरी 30-45 सेंटीमीटर रखें। प्रकंद को 5-7 सेंटीमीटर की गहराई पर रोपें। और हल्दी को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम उर्वरकों का प्रयोग करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए नियमित निराई-गुड़ाई करें।
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हल्दी की कटाई और उपज
हल्दी की कटाई बुवाई के 9-10 महीने बाद की जाती है। हल्दी के पौधों को जड़ सहित खोदकर निकालें। औसतन उपज 10-15 टन प्रति हेक्टेयर होती है। हल्दी को स्थानीय मंडी में बेचा जा सकता है। हल्दी का पाउडर, तेल आदि बनाकर भी बेचा जा सकता है। हल्दी की खेती से होंगी तगड़ी कमाई हो सकती है.