BJP विधायकों और मंत्रियों के परिजनों को दान में मिली करोड़ों रूपए की संपत्तियों की हो जांच : दिग्विजय सिंह

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भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आज यहां जारी अपने बयान में कहा कि 2004 से लेकर 2023 तक लगभग साढ़े 18 साल के भाजपा के शासनकाल में भाजपा विधायक व मंत्रियों ने भ्रष्टाचार का सहारा लेकर अकूत धन संपत्ति अर्जित की है। यही नहीं, भाजपा नेता मजबूर और गरीबों की जमीन हथियाने और कब्जाने के मामले में भी पीछे नहीं हैं। 
पूर्व सीएम ने कहा कि अभी एक ताजा मामला पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी ने उनके संज्ञान में लाया है जिसमें सागर जिले के नरयावली विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रदीप लारिया द्वारा अपनी पत्नी व पुत्र के नाम पर वेशकीमती जमीन दान पत्र द्वारा वसीयत कराई गई है। उन्होंने बताया कि पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी ने उन्हें पत्र लिखकर विधायक प्रदीप लारिया द्वारा किए गए जमीन के सौदे का विवरण देते हुए बताया कि प्रदीप लारिया भाजपा विधायक, नरयावली द्वारा पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करके अर्जित की गई धनराशि से अपने रिश्तेदारों के नाम पर खरीदी गई बेशकीमती जमीन (कीमत लगभग 25 करोड रुपए) को स्वयं की पुत्र अंशुल लारिया एवं पत्नी रेणु लारिया के नाम पर दान पत्र कराई गई है। पूर्व सीएम ने कहा कि पूर्व मंत्री के बताए अनुसार प्रदीप लारिया की पत्नी रेणु लारिया को वसीयतकर्ता श्रीमती कौशल्या जाटव जो कि विधायक की रिश्ते में सरहज हैं व जिनके पति कैलाश यादव (एलआईसी एजेंट) की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे करोड़ों रूपय की जमीन खरीदें व दान कर दें। इसी तरह लारिया की सास श्रीमती इंद्राणी पति धन प्रसाद उर्फ राजाराम ने प्रदीप लारिया के बेटे अंशुल लारिया के नाम पर भी वसीयत की है दोनों वेशकीमती जमीनों की कीमत लगभग 25 करोड रुपए हैं।  
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि अमूमन पूरे प्रदेश में भाजपा के दलाल, मंत्री, नेता इसी तरह से अपने नाम जमीन हस्तांतरित करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी की शिकायत पर विधायक प्रदीप लारिया के पुत्र एवं पत्नी द्वारा दान में प्राप्त संपत्ति की जांच करवाने तथा दानकर्ता के इन लोगों से संबंध और उनके द्वारा अर्जित संपत्ति की निष्पक्ष जांच करवाने हेतु लोकायुक्त को पत्र लिखा है जिससे भ्रष्टाचार से अर्जित की गई संपत्तियों का खुलासा हो सके और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषियों पर कार्यवाही हो सके।
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