कम समय में चीकू की खेती से बंपर कमाई, जानें इसकी उन्नत किस्में और खेती की तकनीक

By
On:
Follow Us

किसान को फलों की खेती से ज्यादा मुनाफा हो रहा है। ऐसे में अधिकतर किसान चीकू की खेती से अच्छी आमदनी कमा रहे है। चीकू की अच्छी किस्म की बुवाई करने से किसान को भारी पैमाने पर लाभ प्राप्त होता है। इसकी खेती के लिए पौधा तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय मार्च-अप्रैल है। चीकू कई पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। इसलिए इसकी मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। ऐसे में किसान भाई चीकू की खेती से मोटी कमाई कर सकते है। आइए जानते है चीकू की खेती के बारे में.

यह भी पढ़े- बैटरी से चलने वाला स्प्रे पम्प ख़रीदे सिर्फ 600 रु में, यहाँ मिल रहा यह शानदार ऑफर, जानिए

आपको बता दें, चीकू के पौधे गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद करते हैं। इन्हें पनपने के लिए भरपूर धूप और नियमित पानी की भी आवश्यकता होती है। बीज से रोपण के अलावा, चीकू के पौधों को सॉफ्टवुड कटिंग या एयर लेयरिंग द्वारा भी लगाया जा सकता है। या फिर आप इसे नर्सरी से पौधा खरीदकर भी लगा सकते हैं।

चीकू की किस्में:-

1) कालीपट्टी – महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तरी कर्नाटक में खेती की जाती है। चौड़ी, मोटी पत्तियाँ और आयताकार फल।

2) क्रिकेट की गेंद – तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाया जाता है। फल आकार में बड़ा, गोल और दानेदार गूदे वाला मीठा होता है।

3) सीओ.1, सीओ.2, पीकेएम.1, कं.3 : तमिलनाडु में उगाया जाता है।

4) पीलीपट्टी – महाराष्ट्र और गुजरात में उगाया जाता है।

5) पाला – आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पाया जाता है। यह अधिक उपज देने वाली किस्म है।

भारत में पाई जाने वाली अन्य किस्में गुथी, बैंगलोर, कीर्तिबारथी और पीकेएम (2, 3, 4 और 5) अंडाकार, ढोला दीवानी, द्वारपुड़ी और छत्री हैं।

यह भी पढ़े- आमो के राजा अल्फांसों की खेती बना देंगी मालामाल, 800 से 1100 रुपये दर्जन में रहती है कीमत

खेती के लिए उपर्युक्त मिट्टी

चीकू की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली गहरी जलोढ़, रेतली दोमट और काली मिट्टी उत्तम रहती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी एच 6-8 उपयुक्त होता है। चिकनी मिट्टी और कैल्शियम की उच्च मात्रा युक्त मिट्टी में चीकू की खेती होती है। चीकू के पौधे को प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे धूप जरूरी है।

यह भी पढ़े:-देसी जुगाड़ से शख्स ने ऑटो को बना लिया Wagon R Car, देख घूम जाएगा माथा, लोगों ने दिया मजेदार रिएक्शन

खेती की तैयारी

चीकू बीज को लगभग एक इंच गहरी मिट्टी में डालें और पानी दें। एक बार जब पेड़ अंकुरित हो जाता है, तो चीकू के पेड़ को फल लगने में 5 से 8 साल का समय लगता हैं। वानस्पतिक विधि द्वारा तैयार चीकू के पौधों में दो वर्षो के बाद फूल एवं फल आना आरम्भ हो जाता है। इसमें फल साल में दो बार आता है, पहला फरवरी से जून तक और दूसरा सितम्बर से अक्टूबर तक। फूल लगने से लेकर फल पककर तैयार होने में लगभग चार महीने लग जाते हैं। चीकू में फल गिरने की भी एक गंभीर समस्या है।

फल गिरने से रोकने के लिये पुष्पन के समय फूलों पर जिबरेलिक अम्ल के 50 से 100 पी.पी.एम. अथवा फल लगने के तुरन्त बाद प्लैनोफिक्स 4 मिली./ली.पानी के घोल का छिड़काव करने से फलन में वृद्धि एवं फल गिरने में कमी आती है। चीकू का पेड़ 30 मीटर (100 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। चीकू का पेड़ धीमी गति से बढ़ता है, लेकिन एक बार जब यह फल देना शुरू कर देता है, तो यह कई वर्षों तक फल देना जारी रखता है। चीकू पर फल इस बात पर निर्भर करता है कि पौधों का प्रचार-प्रसार कैसे किया जाता है।

Jankranti

MP Jankranti News — मध्यप्रदेश की 7.33 करोड़ जनता की आवाज़। बिना भेदभाव के खबरें, समस्याएं और समाधान सीधे आप तक।

For Feedback - newsmpjankranti@gmail.com

Leave a Comment