मांडू का इतिहास खुरासानी इमली से गहराई से जुड़ा हुआ है। इन पेड़ों का होना मांडू की समृद्ध विरासत का एक हिस्सा है. यह वाकई अद्भुत है कि कभी एक समय में यहां एक हजार से भी अधिक खुरासानी इमली के पेड़ हुआ करते थे। इन पेड़ों का विशाल आकार और डरावना रूप इन्हें एक रहस्यमयी आभा देता है। खुरासानी इमली का वानस्पतिक नाम बायबाय है। आइये जानते है इसके बारे में..
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इन शारीरिक समस्यावो से निजात दिलाती है यह इमली
शरानी इमली के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है। यह वास्तव में एक अद्भुत फल है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हो सकता है।
- पाचन तंत्र के लिए वरदान: खुशरानी इमली में मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कब्ज, पेचिश और पेट दर्द जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में कारगर है।
- कृमि संक्रमण से बचाव: इमली में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आंतों में होने वाले कृमि संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
- लीवर और हृदय की सुरक्षा: इमली में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स लीवर को डिटॉक्स करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
- पेट साफ करने का गुण: इमली एक प्राकृतिक लैक्सेटिव के रूप में काम करती है और पेट को साफ करने में मदद करती है।
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खुरासानी इमली का इतिहास
खुरासानी इमली के इतिहास के बारे में एक बेहद रोचक तथ्य बताया है। यह वाकई दिलचस्प है कि कैसे एक उपहार के रूप में आए कुछ पौधों ने मांडू के इतिहास में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कहते है 15वीं शताब्दी में, अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने अलाउद्दीन खिलजी को उपहार स्वरूप कुछ तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे। अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे साम्राज्य में इन पौधों को लगाने का प्रयास किया, लेकिन केवल मांडू और आसपास के क्षेत्रों में ही इन्हें अनुकूल जलवायु मिली और यह पनप सके।