Bhopal, 11 February, Jankranti News, : —– मध्य प्रदेश राज्य उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने मध्य प्रदेश के उज्जैन की एक महिला का घर तोड़े जाने के मामले में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां कीं। हाई कोर्ट ने कहा कि नगर निगम अधिकारियों ने गलत तरीके से महिला का घर तोड़ा है। उच्च न्यायालय ने अधीरता व्यक्त करते हुए कहा कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करना स्थानीय शासी निकायों और अधिकारियों के लिए एक ‘फैशन’ बन गया है। हाईकोर्ट ने पीड़ित महिला को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. वहीं हाई कोर्ट ने उज्जैन नगर निगम (यूएमसी) कमिश्नर को मकान गिराने के मामले में पंचनामा तैयार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया. इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने पीड़ित याचिकाकर्ताओं को सिविल कोर्ट के माध्यम से अपने नुकसान के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने का अवसर भी दिया।
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने कल उपरोक्त फैसला राधा लांगरी नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका पर दिया, जिसमें उसने उज्जैन नगर निगम के कर्मचारियों और जिला भवन अधिकारियों द्वारा अपने घरों (मकान नंबर 466 और 467) के अवैध विध्वंस के लिए मुआवजे की मांग की थी।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि अधिकारियों के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना अपनी इच्छानुसार मकानों को गिराना और संबंधित समाचार को मीडिया में सार्वजनिक करना फैशन बन गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंडोर बेंच ने कहा कि विध्वंस एक ‘अंतिम उपाय’ होना चाहिए और मालिक को घर को व्यवस्थित करने का उचित अवसर देने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए।
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—– M Venkata T Reddy, News Editor, MP Jankranti News,