Makke KI kheti: मक्का की खेती बिहार में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो राज्य के किसानों के लिए खुशखबरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये हाइब्रिड बीज सिर्फ तीन महीने में ही तैयार हो जाएंगे। यानी इसके बाद आप फसल की कटाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस मक्के की खेती जैविक विधि से करने की बात कही गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को मक्का की खेती में रसायनों के प्रयोग को छोड़ना होगा।
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बिहार: कृषि प्रधान राज्य
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां 85 प्रतिशत से अधिक आबादी की रोज़ी-रोटी खेती पर निर्भर करती है। बिहार के किसान धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, आम, guava, केला और आलू सहित कई तरह की पारंपरिक और बागवानी फसलों की खेती करते हैं। लेकिन अब किसानों का रुझान धीरे-धीरे मोटे अनाजों की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए राज्य सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। वह किसानों को सब्सिडी पर मक्के के बीज मुहैया करा रही है, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र में इसकी खेती कर सकें।
सब्सिडी पर मिल रहे हैं मक्के के बीज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खरीफ मक्का की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए बिहार सरकार खरीफ मक्का के बीजों पर सब्सिडी दे रही है। फिलहाल 8 किस्मों के मक्का के बीजों पर सब्सिडी उपलब्ध है। किसान अपनी पसंद के अनुसार सब्सिडी पर कोई भी मक्का बीज की वैरायटी खरीद सकते हैं। खास बात यह है कि सुपौल जिले के वीरपुर के किसान भी इस सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। विभिन्न फसलों के लिए चयनित राजस्व गांव में 25 एकड़ का क्लस्टर बनाया जाएगा। इसके लिए किसानों को हाइब्रिड मक्के के बीज दिए जाएंगे।
जैविक खेती को अपनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि ये हाइब्रिड बीज केवल तीन महीने में ही तैयार हो जाएंगे। यानी इसके बाद आप फसल की कटाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि मक्के की खेती जैविक विधि से करने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को मक्का की खेती में रसायनों के प्रयोग को छोड़ना होगा। उन्हें कम से कम कीटनाशकों का ही प्रयोग करना चाहिए। साथ ही खेत में रासायनिक उर्वरकों के बजाय गोबर की खाद और वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। इसके अलावा, दानों की गुणवत्ता भी अच्छी बनी रहती है।
मक्के की खेती के लिए मशहूर है बिहार
आपको बता दें कि बिहार मक्के की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां कटिहार जिले में किसान बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं। यहां का कोढा प्रखंड मक्का की खेती के लिए काफी मशहूर है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कटिहार जिले में रबी सीजन में कुल मिलाकर लगभग 450 एकड़ में मेड़ों पर मक्का की खेती की गई है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के दौर में मक्के की खेती फसल चक्र को बेहतर बनाने में मदद करेगी और किसानों को अधिक मुनाफा होगा। किसानों को धान और गेहूं के फसल चक्र से निकालकर नकदी फसलों पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। धान की खेती में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है जबकि मक्का कम पानी में भी अधिक पैदावार देता है।