Buffalo Breed: देसी भैंस पालना भारत में सदियों से होता आ रहा है. दूध, दही, घी और गोबर के लिए पाले जाने वाली भैंसें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं. लेकिन शहरों में भी अब लोग शुद्ध दूध और डेयरी उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में भैंस पालन का बिजनेस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. अगर आप भी भैंस पालन की सोच रहे हैं, तो आज हम आपको एक खास नस्ल के बारे में बताएंगे, जिसका नाम है कालाहांडी भैंस.
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कमाल की है ये कालाहांडी भैंस (Kamaal Ki Hai Ye Kalahandi Bhains)
दूध में धाक, बच्चों में चैंपियन (Doodh Mein Dhaak, Bachchon Mein Champion)
कालाहांडी भैंस अपनी लंबी उम्र और ज्यादा बच्चे देने के लिए जानी जाती है. ये भैंस अपने पूरे जीवनकाल में 7 से 8 बच्चों को जन्म देती है. इतना ही नहीं, दूध देने के मामले में भी ये कई नस्लों को पीछे छोड़ देती है. एक बार ब्याने के बाद ये रोजाना औसतन 3 से 5 लीटर दूध देती है, जो पूरे लैक्टेशन पीरियड में 737 से 800 लीटर दूध तक पहुंच जाता है.
कम खाने वाली, ज्यादा फायदा देने वाली (Kam Khane Wali, Zyada Fayda Dene Wali)
कालाहंडी भैंसों को खाने के मामले में ज्यादा फालतूफालत नहीं होती. इन्हें अपनी जरूरत के हिसाब से ही पोषण चाहिए होता है. ये जल्दी पचने वाला चारा जैसे दलहन का चारा और सूखे मेवे पसंद करती हैं. इनके खाने में प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन A जैसे पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए. आप इन्हें अनाज, तिलहन की खल्ली और मिनरल्स से भरपूर आहार दे सकते हैं.
मजबूत और रोग प्रतिरोधी (Mazboot Aur Rog Pratirodhi)
कालाहंडी भैंसें न सिर्फ दूध देने में अव्वल हैं बल्कि ये काफी मजबूत और रोग प्रतिरोधी भी होती हैं. इन्हें कम बीमारियां होती हैं, जिससे इलाज पर होने वाला खर्च भी बचता है. साथ ही ये तेज धूप, बर्फबारी और ज्यादा ठंड जैसे कठोर मौसम को भी आसानी से सह लेती हैं. हालांकि, इनके रहने के लिए साफ-सुथरे और हवादार शेड का होना जरूरी है.
इन खूबियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि कालाहांडी भैंस पालना वाकई में काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. तो देर किस बात की, अगर आप भी भैंस पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो कालाहांडी भैंस जरूर पालें.