ज्यादा अंडे, कम रखरख, ज्यादा मुनाफा, यह है देसी मुर्गियों की नई किस्में

By
On:
Follow Us

मुर्गी पालन आजकल ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनता जा रहा है. अंडों और मांस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसान अब खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन भी करने लगे हैं. मुर्गी पालन को और भी ज्यादा मुनाफे वाला बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिक लगातार देसी मुर्गियों की नई किस्में विकसित कर रहे हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ नई किस्मों के बारे में:

यह भी पढ़े- Creta का बोलबाला खत्म कर देंगी Hyundai की दमदार कार, धमाकेदार फीचर्स के साथ फीचर्स भी होंगे शानदार

1. हिटकारी चिकन: बिना गले की चिलचिलाहट दूर करने वाली मुर्गी

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (इज्जतनगर) बरेली द्वारा विकसित हिटकारी चिकन देसी नस्ल की एक खास किस्म है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह देसी मुर्गी साल में 195 से 200 अंडे तक देती है. खास बात ये है कि हिटकारी चिकन की गर्दन पर बाल नहीं होते हैं, जिससे ये गर्मियों में आसानी से शरीर की गर्मी को बाहर निकाल लेती है. इस वजह से इसके मांस की बाजार में काफी डिमांड रहती है. गर्मियों में आमतौर पर मुर्गियों की मृत्यु दर बढ़ जाती है, लेकिन हिटकारी चिकन की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है, जिससे ये गर्मी में भी अंडों का अच्छा उत्पादन देती है.

2. उपकारी चिकन: कम उम्र में ज्यादा वजन वाली देसी मुर्गी

उपकारी चिकन मध्यम आकार की और बहु रंगों वाला होता है. ये भी भारतीय मुर्गियों की एक देसी नस्ल है. इसे सूखे इलाकों में आसानी से पाला जा सकता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि उपकारी चिकन के चूजे मात्र 20 हफ्तों में ही डेढ़ किलो से ज्यादा वजन के हो जाते हैं. ये भी साल में 195 से 200 अंडे देती है. उपकारी चिकन का मांस पौष्टिक, स्वादिष्ट और भरपूर मात्रा में प्रोटीनयुक्त होता है.

3. कारी श्यामा चिकन: कम चर्बी वाला स्वादिष्ट मांस देने वाली मुर्गी

करी श्यामा चिकन भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा कड़कनाथ और काली रेड मुर्गियों को मिलाकर बनाई गई एक नई देसी किस्म है. इसके मांस में बहुत कम रेशे और चर्बी होती है, जिस वजह से बाजार में इसकी काफी मांग रहती है. साथ ही, ये प्रोटीन से भरपूर होती है, इसलिए आदिवासी इलाकों में भी इसे काफी पसंद किया जाता है. काली श्यामा मुर्गी साल में 200 से 210 अंडे तक दे सकती है.

ये नई किस्म की देसी मुर्गियां कम रखरख में ज्यादा मुनाफा देती हैं. उम्मीद है कि इन नस्लों को अपनाकर किसान अपनी आय में अच्छी बढ़ोतरी कर सकते हैं.

For Feedback - newsmpjankranti@gmail.com

Related News

Leave a Comment