खेतों को कीटों से बचाना किसानों के लिए लगातार चुनौती बनता जा रहा है. अगर खेतों में दवा का छिड़काव न किया जाए, तो सारी फसल बर्बाद हो जाती है. कीटों का प्रकोप इतना ज्यादा होता है कि वे पूरी फसल खाकर खत्म कर देते हैं. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. यही कारण है कि वे मजबूरन बाजार में मिलने वाले रासायनिक कीटनाशकों का सहारा लेते हैं.
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लेकिन बाजार में मिलने वाले ज्यादातर कीटनाशक रासायनिक होते हैं. जिनके कई दुष्परिणाम भी सामने आते हैं. भले ही इनसे कीट मर जाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे जमीन की गुणवत्ता भी कम होती जाती है. मिट्टी की उर्वरता धीरे-धीरे खत्म हो रही है.
अगर आप देसी कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, तो जमीन ज्यादा उपजाऊ बनेगी. साथ ही, आप कीटों के प्रकोप से भी बचाव कर सकते हैं. इतना ही नहीं, देसी कीटनाशक बाजार में मिलने वाले रासायनिक कीटनाशकों से काफी सस्ते भी होते हैं. लेकिन इनके बारे में जानकारी नहीं होने के कारण ज्यादातर किसान इनका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. तो चलिए, आज हम आपको इस देसी कीटनाशक के बारे में विस्तार से बताते हैं. किसानो के लिए वरदान शाबित होगा यह कीटनाशक, नहीं होगी केमिलकल से मिटटी ख़राब यहाँ देखे तरकीब
देसी कीटनाशक: रासायनिक कीटनाशकों का विकल्प
हम जिस देसी कीटनाशक की बात कर रहे हैं, उसका इस्तेमाल मध्य प्रदेश के कटनी जिले में किया जा रहा है. आपको बता दें कि इस कीटनाशक को मानव जीवन विकास समिति द्वारा बनाया जा रहा है. इसमें किसी भी तरह का कोई रासायनिक नहीं मिलाया जाता है. यह पूरी तरह से जैविक तरीके से तैयार किया जाता है.
जानकारी के अनुसार, इस कीटनाशक को बनाने में कई तरह की पत्तियों का इस्तेमाल किया गया है. जैसे कि अमरूद का पत्ता, धतूरे का पत्ता, आक का पत्ता, नीम का पत्ता, हरी मिर्च, अदरक, लहसुन और गोमूत्र के साथ-साथ तंबाकू का भी इस्तेमाल किया गया है. ये सभी चीजें कीटों को दूर भगाने में बहुत कारगर हैं. इन्हीं सब चीजों को मिलाकर यह कीटनाशक तैयार किया जाता है. इसे बनाने के लिए इन सब चीजों को गोमूत्र में उबाला जाता है, फिर इसका इस्तेमाल किया जाता है.
इसे इस्तेमाल करने की विधि के बारे में भी बताया गया है, तो चलिए, इसके बारे में भी जानते हैं.
देसी कीटनाशक का इस्तेमाल कैसे करें
अगर किसान चाहें, तो वे इस देसी कीटनाशक को खुद भी बना सकते हैं. लेकिन इसे बनाने की एक पूरी प्रक्रिया है. जिसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी होनी चाहिए. इस देसी कीटनाशक के इस्तेमाल से वे बहुत आसानी से कीटों की समस्या से निजात पा सकते हैं. इसके लिए उन्हें इस दवा का खेत में तीन बार छिड़काव करना होगा.
इस दवा का छिड़काव फसल पर 15 दिन के अंतराल पर किया जा सकता है. अगर वे फसल पकने और कटने तक इस दवा का छिड़काव करते रहते हैं, तो उनकी फसल को कोई नुकसान नहीं होगा. आपको बता दें कि कई किसान पहले ही इस देसी कीटनाशक का इस्तेमाल कर चुके हैं. उन्हें इसका काफी फायदा हुआ है. इससे कीट उनकी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए हैं.