Share Market: शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा उतार चढ़ाव कब आता है, यहाँ चेक करे मार्केट में उतार चढ़ाव के रीज़न

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Share Market: शेयर मार्केट में सबसे ज्यादा उतार चढ़ाव कब आता है, यहाँ चेक करे मार्केट में उतार चढ़ाव के रीज़न शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कई कारकों के कारण होता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

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आर्थिक कारक:

  • मौद्रिक नीति: जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बदलाव करता है, तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता है. ब्याज दरों में वृद्धि से शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है, वहीं ब्याज दरों में कमी से शेयर बाजार में तेजी आ सकती है.
  • महामारी: कोरोना महामारी जैसी वैश्विक घटनाओं का शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
  • मुद्रास्फीति: जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो इसका मतलब है कि पैसों की कीमत कम हो जाती है. इससे शेयर बाजार में अस्थिरता आ सकती है.
  • आर्थिक विकास: जब अर्थव्यवस्था अच्छी गति से बढ़ रही होती है, तो शेयर बाजार में तेजी आने की संभावना होती है. वहीं, जब अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही होती है या मंदी की स्थिति में होती है, तो शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है.

राजनीतिक कारक:

  • चुनाव: चुनावों के दौरान, शेयर बाजार में अस्थिरता देखी जा सकती है, क्योंकि निवेशक चुनाव परिणामों को लेकर अनिश्चितता महसूस करते हैं.
  • सरकारी नीतियां: सरकार द्वारा की जाने वाली नीतियां, जैसे कि कर नीतियां या विनियमन, शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती हैं.
  • भू-राजनीतिक घटनाएं: युद्ध या आतंकवादी हमले जैसी घटनाओं का शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

निवेशक मनोविज्ञान:

  • निवेशकों का विश्वास: जब निवेशक बाजार के प्रति आशावादी होते हैं, तो वे अधिक शेयर खरीदते हैं, जिससे शेयर बाजार में तेजी आती है. वहीं, जब निवेशक बाजार के प्रति निराशावादी होते हैं, तो वे शेयर बेच देते हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आती है.
  • अफवाहें और अटकलें: शेयर बाजार में अफवाहें और अटकलें भी उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती हैं.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव एक स्वाभाविक घटना है. शेयर बाजार में हमेशा कुछ न कुछ होता रहता है जो शेयर की कीमतों को प्रभावित करता है.

निष्कर्ष:

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कई कारकों के कारण होता है, जिनमें आर्थिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक कारक शामिल हैं. इन कारकों को पूरी तरह से नियंत्रित करना संभव नहीं है, लेकिन निवेशक इन कारकों को समझकर और सोच-समझकर निवेश करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.

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